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स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 निगम का फोकस, ताकि बेहतर हो रैंकिंग

locationभोपालPublished: Dec 06, 2019 11:37:47 am

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020

भोपाल/ इंट्रो- स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए शहर तैयार हो रहा है। शहर की सडक़ों, गलियों से गुजरते हुए ये तैयारियां नजर भी आ रही है। शहर की दीवारों पर हो रहे रंगरोगन-पेंटिंग के साथ ही सडक़ किनारे स्थापित किए जा रहे शौचालय बता रहे हैं कि शहर गंदगी और कचरे से निपटने काम कर रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण के इस पांचवे वर्ष में नगर निगम भी कोशिश कर रहा है कि शहर में विजिबल सफाई हो, यानि जो लोगों को नजर आए।

हालांकि इसमें अब भी काफी काम करना बाकी है, लेकिन फिलहाल निगम का पूरा अमला सुबह से रात तक सडक़ पर है और गंदगी फैलाने वालों पर स्पॉट फाइन की कार्रवाई करने से लेकर पॉलीथिन को प्रतिबंधित करने लाखों रुपए का फाइन कर रहा है।

रात को बाजार की धुलाई और दिन में सफाई भी की जा रही है। इस बार सबसे अधिक फोकस संसाधनों के पूरे और बेहतर उपयोग के साथ टेक्रोलॉजी आधारित मॉनीटरिंग का है। निगम के अफसरों का कहना है उन्हें इसका लाभ भी मिल रहा है और जनवरी के पहले सप्ताह में जब स्वच्छता का सर्वे करने टीम भोपाल आएगी तो स्थितियां आज से और बेहतर मिलेंगी।

नगर निगम का इन पर फोकस, ताकि सुधरे रैंकिंग

1. हर घर से कचरा कलेक्शन- 543 मैजिक वाहनों के साथ डेढ़ सौ रिक्शा हर घर से कचरा कलेक् शन करने के लिए लगाए गए हैं। इनकी मॉनीटरिंग में टेक्रोलॉजी का उपयोग किया है, इससे इनके रूट लेाकेशन और कचरा वजन तक रिकॉर्ड होता है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अब भी रोजाना कचरा नहीं उठ पाने की शिकायत है। अंदरूनी गलियों, क्षेत्रों में करीब दस फीसदी कचरा अब भी समस्या बना हुआ है।

2. शहर में सौंदर्यीकरण- नगर निगम ओडीएफ डबल प्लस और इसके बाद स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए शहर को सजाने में लगा हुआ है। शहर में करीब पौने दो लाख वर्गफीट की दीवारों के साथ शौचालयों के सौंदर्यीकरण पर दो करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है। इतना नहीं, अब सडक़ किनारें की घास और जंगली पौधों को हटाने जेसीबी का उपयोग किया जा रहा है।

3. शहर में छह वेस्ट ट्रांसफर सेंटर काम करना शुरू कर चुके हैं। औसतन रोजाना 600 मैट्रिक टन से अधिक कचरा यहां कंप्रेस्ड हो रहा है। कंप्रेस्ड होकर कैप्सुल से इसे आदमपुर खंती भेजा जा रहा है। हालांकि आदमपुर में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट तो नहीं बना, लेकिन यहां कंपोस्ट यूनिट और डिस्पोजल यूनिट इसका निष्पादन कर रही है। वेस्ट सेंटर बनने का असर ये हैं कि आदमपुर जाने वाले वाहनों में 40 फीसदी तक की कमी आई।

4. गंदगी फैलाने और पॉलीथिन उपयोग पर फाइन- बीते एक सप्ताह में निगम ने पेड़ काटने-कचरा फैलाने वाले पर एक लाख रुपए का स्पॉट फाइन किया, जबकि 21 टन पॉलीथिन संग्रहण करने वाले पर दो लाख रुपए का फाइन किया। अब तक 12 हजार से अधिक फाइन किए जा चुके हैं। दरोगा स्तर पर फाइन करने का कहा गया है। उम्मीद की जा रही है कि गंदगी फैलाने वालों के मन में डर हो। हालांकि फिलहाल इसके लिए कुछ और बड़ी कार्रवाई की जाएगी।

5. शौचालयों का उपयोग बढ़ाना- नगर निगम ने मॉड्यूलर के साथ सार्वजनिक शौचालयों के उपयोग को बढ़ाने फोकस किया हुआ है। हाल में सभी शौचालयों की लोकेशन गुगल लोकेटर पर डाली है। इनपर सौंदर्यीकरण कार्य किए हैं ताकि लोगों को ये आकर्षित करें। यहां नियमिततौर पर पानी और सफाई की दिक्कत अब भी है।

भोपाल स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में जमीन पर ये हकीकत

– प्रतिदिन शत- प्रतिशत कचरा उठाने का दावा हैं, लेकिन पूरी सफाई अब भी बाकी है। दस फीसदी कचरा सडक़ व गलियों में बिखरा हुआ अब भी सिरदर्द बना हुआ है।

– शहर में निगम ने डस्टबिन की सुविधा पहले ही खत्म कर दी है। अब कर्मचारी सफाई कर सीधे कचरा वाहनों में डंप करते हैं। अंडरग्राउंड डस्टबिन कई जगह से निकले हुए हैं और लोग खुले में कचरा फेंकते हैं।
– सीवेज बड़ी समस्या बनी हुई है। रोजाना सीवेज चैंंबर से निकलने की 150 से अधिक शिकायतें आती है।

– गीले- सूखे कचरे को घर से सेग्रिकेशन 100 फीसदी का दावा किया जा रहा है, हालांकि 40 से अधिक क्षेत्रों में अब भी दिक्कत है।
– कचरे में सफाई कर्मचारी ही आग लगा रहे हैं, जोन 13 में एक कर्मचारी पर हाल में 200 रुपए का फाइन किया गया

– अवधपुरी, साकेत नगर, हबीबंगज अंडरपास के पास, जंबूरी मैदान, आनंद नगर, भानपुर जैसे क्षेत्रों में खाली पड़े प्लॉट्स व मैदानों में कचरा अब भी खुले में फेंकने की शिकायतें है।

ये भी स्थिति

– शहर में 40 से अधिक स्पॉट ऐसे हैं जहां नियमित सफाई नहीं होती
– 100 मैट्रिक टन कचरा अब भी सडक़, मोहल्लों से नहीं उठ पा रहा

– 06 करोड़ रुपए के वेस्ट ट्रांसफर स्टेशनों ने काम करना शुरू किया है
– 40 एकड़ की आदमपुर ख्ंाती शुरू हुई है, लेकिन इसे पूरी तरह से तैयार नहीं किया जा सका

– 25 हजार से अधिक खाली प्लॉट्स को गंदगी से मुक्त नहीं किया जा सका
– 10 फीसदी क्षेत्र अब भी ऐसे हैं जहां डोर टू डोर कचरा कलेक् शन शुरू होना बाकी है

– 20 फीसदी क्षेत्र में रोजाना झाडू नहीं लग पा रही
– आवासीय क्षेत्र में यदि 10 दुकानें एक लाइन में है तो उसे व्यवसायिक क्षेत्र की तरह ट्रीट किया जाएगा

शहर में कचरा

– शहर में प्रतिदिन करीब 900 मैट्रिक टन कचरा निकलता है।
– निगम के करीब 6600 सफ ाई कर्मचारियों के साथ गलियों और मोहल्लों से कचरा एकत्रित किया जा रहा है।

– इस काम में हर माह चार करोड़ रुपए तक खर्च हो रहे हैं

स्वच्छता में ऐसे मिलेंगे नंबर

– 50 अंक है बिन फ्री सिटी के

– 50 अंक मिलेंगे सिंगल यूज्ड प्लास्टिक प्रतिबंध पर
– 45 अंक है पूरे शहर में डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन

– 70 अंक है स्त्रोत पर सेग्रिकेशन के
– 70 अंक है 100 प्रतिशत वार्ड की पूरी सफाई

– 100 अंक है कचरा उत्पादन खत्म करने के उपाय और घर पर निष्पादन के
– 50 अंक है प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन के

– 50 अंक है खतरनाक वेस्ट कलेक्शन और निष्पादन
– 50 अंक है सीएंडडी वेस्ट निष्पादन के

– 60 अंक है बल्क जनरेटर की पहचान

रैंकिंग सुधारना तो ये 100 फीसदी करना होगा

– डोर टू डोर कलेक्शन

– स्त्रोत पर ही सेग्रिगेशन
– क्षेत्र की रोजाना दो बार सफाई

– 50 से 100 मीटर की दूरी तक लीटर बिन
– वेस्ट बिन लेस सिटी ये भी कराना है

– बल्क वेस्ट जनरेटर खुद प्रोसेसिंग करें
– बर्तन बैंक, फूड बैंक जैसे नवाचार उपायों से कचरा उत्पादन घटाना

फ्लैस बैक: ऐसे बढ़ी स्वच्छता की जंग

– 73 शहर थे 2016 में। भोपाल 21वें नंबर पर था।
– 434 शहर हुए 2017 में। भोपाल 2 नंबर पर रहा।

– 4203 शहर हुए 2018 में। भोपाल 2 नंबर पर रहा।
– 4237 शहर 2019 में थे। भोपाल 19वें नंबर पर आया।

– 2020 में देश के सभी शहर हैं।

ऐसे परफॉरमेंस का होगा परीक्षण

– अप्रैल से जून 2019

– जुलाई से सितंबर 2019
– अक्टूबर से दिसंबर 2019

– जनवरी 2020 में अंतिम डायरेक्ट ऑब्र्जरवेशन

यहां दिक्कत

आवारा पशुओं से मुक्ति नहीं
– शहर के भीतर करीब 850 डेयरियां है। इनमें 25 हजार मवेशी है। जो दूध नहीं देते या फिर नर है उन्हें चरने के लिए डेयरी संचालक खुले में छोड़ रहे हैं। इन्हें निगम सीमा से बाहर करने जनवरी 2017 में डेयरियों का सर्वे किया। जगह भी तलाशी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

सुअर- शहर में 750 से अधिक ***** पालक और 62 हजार के करीब ***** है। 1167 क्षेत्रों में इनका दिनरात डेरा रहता है। ***** पालकों को शहर से बाहर जमीन दिखाकर वहां बाड़ा बनाने की बात कही, लेकिन सख्ती नहीं दिखाई गई। गलियों की गंदगी में ही सुअरों को पाला जा रहा है। सबसे अधिक ***** कोलार और बैरागढ़, गांधीनगर में है। गंदगी के संक्रमण को लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

नवाचार से स्वच्छता की जंग जीतने की कोशिश
– कैरी योअर बैग

पुराने कपड़े से थैले बनाने ईको फ्रेंडली थैले बनाने का काम शुरू किया। शहर में अलग-अलग स्थानों पर सेंटर खोलकर लोगों को कहा गया कि पुराने कपड़े लाएं और फ्री में कपड़े का बैग बनवाएं। अच्छा रिस्पांस मिला इसे।

स्वच्छ स्पद्र्धा
– स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान से नागरिकों के विभिन्न वर्गों को सीधा जोडऩे के लिए नगर निगम स्वच्छ प्रतिस्पर्धा आयोजित करता है। होटल, हॉस्पिटल, स्कूल रहवासी संघ, व्यवसायी संघों के बीच हर तीन माह में प्रतिस्पद्र्धा होती है।

शहर की सकारात्मक सोच व हैप्पीनेस क्लब जैसे संगठनों के साथ ही जोन कार्यालयों के मदद से बर्तन बैंक बनाया जा रहा है, ताकि प्लास्टिक का उपयोग कम किया जा सके। छोटे आयोजनों के लिए नाममात्र या निशुल्क ये बर्तन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

कागज के पत्रों से गांधीजी
निगम ने स्वच्छ मिशन 2020 के तहत स्कूलों में कार्यक्रम करके यहां छात्रों से पत्रों के माध्यम से स्वच्छता के संदेश मंगाए। एक हजार स्कूलों से पत्र आए। एक हजार स्कूलों से छह क्विंटल के वजन में बच्चों की भावनाओं से भरे पत्र मिले हैं। निगम ने इन भावनाओं को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा की शक्ल दी। कागज के पत्रों की लुग्दी बनाकर प्रतिमा बनाई गई।

ये भी नवाचार

– वेस्ट प्लास्टिक से टेबल कुर्सियां बनाई जा रही
– महिलाओं के बालों को एकत्र कर उन्हें बदले में जीरा देने की योजना

– पेट्रोल पंप पर रखे बिन में वेस्ट प्लास्टिक देने की योजना
– कबाड़ से जुगाड़ किया गया

– जागरूकता के लिए केश शिल्पियों से सामूहिकतौर पर बाल बनवाने का कार्यक्रम
– चाय पर चर्चा का आयोजन कर जागरूकता बढ़ाई गई

एक्सपट्र्स कोट्स

दो बिन रखने वालों को टैक्स में दी जा सकती है छूट- एसएस धाकरे, पूर्व अपर आयुक्त स्वास्थ्य नगर निगम भोपाल
– मेरा जो अनुभव रहा है उसके तहत लोगों को सफाई से जोडऩा और सफाई की गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी करना जरूरी है। घर पर कचरे का सेग्रिकेशन हो जाए, इसके लिए प्रयास करने होंगे। इसके लिए यदि कोई फायनेंशियल मॉडल बनाना पड़े तो बनाना चाहिए।

मेरे अनुसार जो लोग दो डस्टबिन रखें और घर पर गीला और सूखा कचरा अलग कर लें उन्हें टैक्स में छूट देने का प्रावधान भी होना चाहिए। दूसरा काम सफाई में कर्मचारियों की बीट तय करके होना चाहिए। क्षेत्रवार सफाई के कर्मचारी तय हो और लोगों को उनकी जानकारी देने के लिए उस बीट में कुछ जगह पर उनके नाम और नंबर लिखे जा सकते हैं, ताकि सफाई नहीं होने पर लोग उसे तुरंत पूछताछ कर सकें।

लोगों की सफाई में भागीदारी बढ़ाने स्व सहायता समूहों का गठन करना जरूरी है। इन्हें स्लम व नॉन स्लम दोनों क्षेत्रों में सफाई के लिए उपयोग लाया जा सकता है। कुछ पारिश्रमिक भी निगम तय कर दें। आवारा कुत्तों और जानवरों से होने वाली गंदगी के लिए पक्का इंतजाम करने की जरूरत है भोपाल में है।

नियमित मॉनीटरिंग जरूरी- वीके चतुर्वेदी, पूर्व अपर आयुक्त नगर निगम भोपाल

– मैं जब निगम में था तभी से मॉनीटरिंग की मुद्दा रहा है। रोजाना सुबह छह बजे से होने वाली मॉनीटरिंग की भी समीक्षा होना चाहिए। मॉनीटरिंग में कोताही करने वालों पर कार्रवाई करना चाहिए। सफाई कर्मचारी काम करते हैं, और उन्हीं की वजह से शहर साफ है। इन कर्मचारियों को दंड की बजाय पुरूस्कार की योजना बनाना चाहिए। ऐसा माहौल बने कि ये खुद ही काम पर आने के लिए उत्साहित हो।

इनके लिए अलग से प्रोत्साहन योजना बनाने की जरूरत है। गीला कचरा और सूखा कचरा घर से ही अलग हो, इसके लिए काम करने की जरूरत है। अब भी देखने में आता है कि कचरे का सेग्रिकेशन ठीक से नहीं होता है। इसके लिए विशेष प्रयास हो और लोगों को अधिक जागरूक किया जाए। कोशिश हो कि घर पर ही गीला कचरा निष्पादित हो जाए तो बेहतर हो जाएगा। कचरा जनरेशन घटाने की योजनाओं को प्राथमिकता मिले।।

संसाधनों का पूरा उपयोग हो, इस पर काम कर रहे- राजेश राठौर, अपर आयुक्त स्वास्थ्य नगर निगम

स्वच्छता के मामले में हम काफी बेहतर स्थिति में पहुंच गए हैं। संसाधनों का बेहतर और अधिकतम उपयोग करना। यानि जो उपकरण और कर्मचारी है, वे पूरी तरह से काम करें यहीं फोकस है। इसके अलावा ऐसी सफाई पर जोर दे रहे हैं जो दिखें। यदि सफाई नजर नहीं आ रही, दिख नहीं रही तो कोई मतलब नहीं है। नियमित और लगातार सफाई पर फोकस है और ये अब होने भी लगी है। पॉलीथिन के उपयोग व विक्रय पर पूरी तरह से लगाम लगाने की कवायद है और इसलिए ही फाइन बढ़ा दिया है। हम जनता की जरूरत के अनुसार काम कर रहे हैं। जहां जैसी मांग हैं वहां वैसी सफाई और उससे जुड़े संसाधन विकसित किए जा रहे हैं। तकनीकी बेस्ड मॉनीटरिंग सिस्टम विकसित किया है और यही हमारी ताकत बन रहा है।

दरोगाओं को दी ई-बाइक

नगर निगम ने 85 वार्ड दरोगाओं को ई-बाइक दी है। इलेक्ट्रॉनिक बाइक एक बैंक के सौजन्य से मिली है। अब बिजली से चलने वाली ये बाइक ईंधन की दिक्कत से मुक्त हो गई। दरोगा इससे अपने वार्ड में आसानी से बिना ईंधन खर्च की चिंता किए भ्रमण कर रहे हैं।

महापौर का कहना

भोपाल देश की स्वच्छतम राजधानी है और इसबार निगम प्रशासन पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है। हमारी उम्मीद है कि रैंकिंग में मजबूती मिलेगी। हम लगातार दो साल तक दो नंबर पर रहे हैंं। इंदौर से हमारा मुकाबला है और शहर की जनता के साथ जनप्रतिनिधि इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। हम जल्द ही जागरूकता के लिए अभियान शुरू करेंगे।
– आलोक शर्मा, महापौर

नगर निगम की पूरी टीम स्वच्छता में शहर को बेहतर रैंकिंंग दिलाने काम कर रही है। हमारे पास संसाधन बेहतर हैं और मॉनीटरिंग भी बेहतर कर रहे हैं। शहरवासियों से यही आह्वान है कि सफाई में सक्रिय भूमिका निभाते हुए शहर को पूरी तरह से गंदगी से मुक्त करें।

– विजय दत्ता, निगम आयुक्त, भोपाल
जनता भी जागे तो स्वच्छता में पहली रैंकिंग पर आए शहर

स्वच्छता सर्वेक्षण का पांचवा साल है, लेकिन अब भी शहरवासी पूरी तरह से इस अभियान से नहीं जुड़ पाए। यही वजह है कि शहर में 40 से अधिक क्षेत्रों की गलियों के साथ 25 हजार से अधिक खाली प्लॉट्स में गंदगी की स्थिति है। पूर्व सिटी प्लानर दिनेश शर्मा का कहना है कि लोगों को सफाई के प्रति खुद सजग और जागरूक रहने की जरूरत है। वे घर पर दो डस्टबिन रखें। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके रखें। कचरा गाड़ी वाले को ये अलग-अलग ही दें ताकि कचरे का सेग्रिकेशन घर पर ही हो जाए।

इसके अलावा यदि बल्क में कचरा निकले तो भी इसे खुले में फेंकने की बजाय निगम के माध्यम से ही डंपिंग साइट पर भिजवाएं। शहर में करीब साढ़े तीन सौ स्लम एरिया है और यहां सबसे अधिक दिक्कत है। बाजारों में दुकानदारों को भी जागरूक होने की जरूरत है। अब भी 20 से 30 फीसदी दुकानदारों के पास सही डस्टबिन नहीं हैं और वे कचरा यहां-वहां फेंकते हैं। दुकानों पर से सामान लेने के बाद उसके रैपर को सडक़ पर फेंकने की आदत भी बरकरार है।

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