– 33622 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण, लेकिन तय डिजाइन से हटकर बन गए। इससे कई जगह बेकार हो गए।
-10 नंबर व पोलीटेक्निक चौराहे पर शी लाउंज स्थापित किए ताकि महिलाओं के लिए सुविधा बढ़ाई जाए। यहां सेनेटरी नेपकीन मशीन के साथ बेबी चैंजिंग कॉर्नर की स्थापना की। अब इन पर पुरुषों का कब्जा है। ये सामान्य दुकानें बन कर रह गए हैं।
-नगर निगम के सभी वाहनों में जीपीएस और फ्यूल सेंसर लगाए गए, ताकि कचरा गाडिय़ां पूरी क्षमता से काम करें। स्थिति ये कि ड्राइवर जीपीएस की सिम जेब में लेकर बरगलाते रहते हैं।
-बिट्टन मार्केट में पांच टन क्षमता का बायोगैस प्लांट लगाया। व्यापारियों को रोजाना 300 क्यूबिक मीटर बायोगैस के साथ 450 यूनिट बिजली मिलना थी। डेढ़ करोड़ खर्च हुआ था, लेकिन पूरी तरह संचालित नहीं हो पाया।
-शाहजहांनी पार्क में बायोकंपोस्ट यूनिट के साथ वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाया। एक करोड़ से अधिक खर्च हुआ। दावा था कि दीनदयाल रसोई को बायोगैस व बिजली फ्री देंगे। शहरवासियों को कंपोस्ट खाद मिलेगी। एक साल हो गया, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया।
-आदमपुर खंती में नई डंपिंग साइट बनाई। यहां 20 मेगावाट क्षमता का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाना था। 20 लाख से अधिक खर्च, लेकिन काम नहीं शुरू हुआ।
-मॉड्यूलर टॉयलेट्स पर आठ से 10 करोड़ खर्च हुए। प्लेटफार्म व टॉयलेट्स की गुणवत्ता खराब होने से कई टूट गए। इनमें से कई को दूसरे साल डेढ़ करोड़ अतिरिक्त खर्च कर बदलना पड़ा।
-दो साल में निगम डस्टबिन तीन बार बदल चुका है। पहले साल रखे गए कंटेनर नहीं जमे तो जीपीएस से युक्त प्लास्टिक के बिन लगाए। ये खराब हुए तो स्मार्ट बिन लगाए गए। इनकी भी स्थिति खराब है। इस पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए।
23 लाख की आबादी
648 वर्गकिमी का क्षेत्रफल
08 लाख स्लम आबादी
19 जोन व 85 वार्ड दफ्तर
250 मिली गार्बेज ट्रक
1800 डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाले
4000 कर्मचारी हैं स्वच्छता को लेकर लगातार समीक्षा की जा रही है। शिकायतें मिल रही हैं, कि कई कामों में हर साल बदलाव होता है। यदि कुछ गैरजरूरी काम हुए हैं तो हम उन्हें दिखवाएंगे।
प्रमोद अग्रवाल, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन