शहर के कोनों को साफ दिखाने उन्हें ग्रीन नेट, रंगाई-पुताई व बर्थ लगाकर साफ रखने की कोशिश फिर गंदगी में बदल गई। बावडिय़ा कलां से कोलार सर्वधर्म दामखेड़ा में जाकर देखा जा सकता है।
केंद्रीय विद्यालय-1 के क्षेत्र में जो नुक्कड़ नाटक के प्लेटफार्म के पास ही कचरा था। गायत्री मंदिर के पास एक तरफ कचरे का अंबार था तो 100 मीटर दूर नुक्कड़ नाटक चल रहा था। शहरभर में यही स्थिति है।
…ताकि लोग समझें स्वच्छता का महत्व : नगर निगम के सहयोग से 17 छात्रों की टीम ने रविवार सुबह से 18 घंटे में 150 नुक्कड़ नाटक किए। इसे लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएंगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर रविवार सुबह पांच बजे रोशनपुरा से पहला नाटक मंचन कर शुरुआत की गई। नाटक की शृंखला रात 11 बजे तक चली।
नवाचार का रेडियो कबाड़ : रोशनपुरा चौराहा पर कबाड़ से जुगाड़ का रेडियो बेमतलब साबित हो रहा है। सर्वेक्षण के इवेंट के दौरान इसे चालू किया गया, अब फिर बंद है।
स्मार्ट बिन का खराब हुआ अलार्म: शहर को डस्टबिन मुक्त करते हुए लोहे के तमाम गार्बेज कंटेनर शहर से हटवा दिए गए। बाद में स्मार्ट बिन का शिगूफा आया, जिसमें बिन भरते ही अलार्म बजना था। न अलार्म बज रहा न कंटेनर खाली हो रहे हैं। पूरे शहर में 130 जगहों पर ऐसी ही स्थिति।
दो माह में निकलने लगा रंग : शहर की दीवारों, स्लम एरिया की गलियों, सड़कों को सुंदर बनाने रंग-रोगन किया गया। दो माह में ही रंग उतरने लगा। कोलार रोड किनारे पाइप लाइन से लेकर तुलसी नगर में स्कूल, कम्युनिटी हॉल की दीवारें बेरंग होना शुरू हो गई है।
20 लाख रु. क्लीन सिटी के नाम
2.99 करोड़ रुपए व्यक्तिगत शौचालयों के लिए
03 करोड़ रुपए सामुदायिक शौचालय
3.64 करोड़ रुपए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
6.26 करोड़ रु. कैपिसिटी बिल्डिंग
05 करोड़ रुपए एकीकृत ठोस अपशिष्ट
3.20 करोड़ रुपए सुलभ कॉम्प्लेक्स निर्माण सामान्य जन
3.20 करोड़ रुपए शहरी गरीबों के लिए सुलभ कॉम्प्लेक्स
नोट : इसके अलावा निगम ने मौजूदा साल की सफाई पर 78 करोड़ रुपए की राशि खर्च की।
नीलेश दुबे, नोडल ऑफिसर स्वच्छता मिशन, मप्र