लेकिन भिंड-मुरैना में एसटीएफ का छापा पडऩे के कारण फिलहाल इन ठिकानों पर नकली उत्पाद का निर्माण ठप कर दिया गया है। भिंड-मुरैना के अधिकांश ठिकानों पर निर्माताओं ने ही ताले लगा दिए गए हैं। एसटीएफ को यह भी जानकारी मिली है कि यहां से कुछ प्लांट से तो मशीनें तक निकाल कर अन्य जगह शिफ्ट कर दी गई हैं, ताकि कारखाने को बंद अथवा ठप दिखाया जा सके।
सबसे अधिक नकली दूध बनाने वाले कारखाने ग्वालियर-चंबल संभाग और रीवा-छतरपुर क्षेत्र में सामने आए हैं। इस नेटवर्क को पकडऩे के लिए एसटीएफ स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने हर जिले में एक इंफॉरमेशन नेटवर्क टीम बनाई हैं।
जैसे ही यह टीम नकली दूध व अन्य सामग्री बनाने की सूचना एसटीएफ को देगी, वहां तुरंत ही खाद्य विभाग की टीम के साथ मिलकर छापा मारा जाएगा। मोटर साइकिल से बेचते थे सिंथेटिक दूध, अब फैक्ट्री मालिक बन गए लेकिन आयकर में भी चोरी की
आशंका
एसटीएफ ने भिंड-मुरैना की वन खड़ेश्वरी डेयरी, गिर्राज फूड और गोपाल आईस फैक्ट्री एवं चिलिंग सेंटर में नकली दूध का कारोबार पकडऩे के बाद अब तक की छानबीन में पाया कि तीनों फैक्ट्रियों के संचालकों द्वारा अलग-अलग समय में मोटर साइकिल पर नकली दूध विक्रय किया जाता था।
धीरे-धीरे इनका नेटवर्क बढ़ता गया और इनके एजेंट, खरीददार बढ़ते गए। नकली दूध और अन्य सिंथेटिक दुग्ध उत्पाद खपाने का नेटवर्क इन्होंने खड़ा कर लिया था। तीनों ही फैक्ट्रियों के संचालक, वन खड़ेश्वरी डेयरी के मालिक देवेंद्र गुर्जर, – जयवीर गुज्रर, रामनरेश गुर्जर और दिनेश शर्मा
गिर्राज फूड एंड सप्लायर के मालिक संतोष सिंह, गोपाल आईस फैक्ट्री एवं चिलिंग सेंटर के राजीव गुप्ता को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। अब तक इन्होंने स्वीकार किया है कि इन्होंने छोटे स्तर से सिंथेटिक दूध का कारोबार शुरु किया।
बाद में कारखाने शुरु कर दिए। छानबीन में यह भी जानकारी मिली है कि इन्होंने फैक्ट्रियां खोलने के लिए बैंकों से लोन ले रखा है। अब एसटीएफ बैंकों से पूछताछ कर रही है कि कब-कब कितना लोन जारी किया गया हैं और किस उद्येश्य से यह लोन दिया गया है। कितने दफा बैंकों ने फैक्ट्रियों का दौरा किया यह भी जानकारी ली जा रही है।
इधर, चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि तीनों ने ही आयकर रिर्टन तो भरा हैं, लेकिन 5, 10 और 12 लाख रुपए ही आय दिखाई है। जबकि एसटीएफ की अब तक की छानबीन में पता चला है कि एक फैक्ट्री का एक दिन का शुद्ध मुनाफा 1 से 2 लाख रुपए तक हैं। ऐसे में आशंका है कि इनके द्वारा टेक्स की भी चोरी की गई है।