इसके अलावा मध्यप्रदेश के भोपाल में भी नवाब मंसूर अली खान पटौदी के इंतकाल के बाद सैफ अली खान नवाब बने और उनके खानदान की 6 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति है, जिनमें से पांच हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति भोपाल और उसके आसपास है।
सैफ अली खान के पुत्र तैमूर अली खान पटौदी है। भोपाल से इस बच्चे का नाता इसलिए है कि यह मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर का पोता है। सैफ और करीना की पूरी प्रापर्टी की प्रापर्टी का मालिक तैमूर होगा, लेकिन जो विवादास्पद प्रापर्टी है उसका मालिक कौन होगा, इसका मामला भोपाल और जबलपुर कोर्ट में चल रहा है।
यहां से शुरू हुई जायदाद की कहानी
भोपाल के आखिरी नवाब और सैफ के परदादा हमीदुल्ला खान की पूरी चल-अचल जायदाद शत्रु संपत्ति कानून की जद में है। सरकार ने एनिमी प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट में अमेंडमेंट के लिए 5वीं बार ऑर्डिनेंस जारी करने के प्रपोजल को बुधवार को मंजूरी दे दी। यह ऑर्डिनेंस अब प्रेसिडेंट के पास उनकी सहमति के लिए भेजा जाएगा। भोपाल में सैफ की कुल प्रॉपर्टी करीब 5000 करोड़ रुपए बताई जा रही है। हरियाणा और देश के दूसरे हिस्सों में भी उनकी करोड़ों की प्रॉपर्टी है।
अभी पूरी प्रॉपर्टी ही विवादों में
नवाब पटौदी की प्रॉपर्टी शुरू से ही विवादों में हैं। भोपाल में उनकी ज्यादातर जमीन-जायदाद शत्रु संपत्ति की जद में आ चुकी है। गृह मंत्रालय का शत्रु संपत्ति विभाग इस प्रॉपर्टी की जांच कर रहा है। भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने जायदाद का वारिस अपनी बड़ी बेटी आबिदा को बनाया था, जो पाकिस्तान चली गई थीं। जिसके बाद इस प्रॉपर्टी पर मंझली बेटी साजिदा सुल्तान के परिवार का कब्जा हो गया, जिनके पोते हैं सैफ अली खान, यानी हमीदुल्ला के पड़पोते।
पिछले साल शत्रु संपत्ति विभाग ने सैफ से पूछा था कि उनके परदादा की संपत्ति कहां-कहां हैं? भोपाल डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने नवाब के परिवार की भोपाल में स्थित पूरी संपत्ति का ब्योरा तैयार कर लिया है। अब शत्रु संपत्ति दफ्तर यह पता करने की तैयारी कर रहा है कि इस प्रॉपर्टी की मौजूदा स्थिति क्या है और इसका मालिकाना हक किसके पास है? अभी इसका सर्वे कराया जा रहा है।
कानूनी लड़ाई अभी भी जारी
भोपाल के हिस्टोरियन सैयद अख्तर हुसैन के मुताबिक साजिदा सुल्तान ने नवाब हमीदुल्ला खां की प्रॉपर्टी को नवाब पटौदी के नाम नहीं किया था। हालांकि बेटा होने के कारण पटौदी ही इसकी देखरेख कर रहे थे। पटौदी के निधन के बाद उनकी बहनें सबीहा और सालेहा इस पर अपना हक जता रही हैं। मामला कानूनी लड़ाई में फंसा है।
इसलिए लाए ऑर्डिनेंस
केन्द्रीय कैबिनेट ने युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों की प्रॉपर्टी के वारिस या उसके ट्रांसफर के दावों के खिलाफ यह कदम उठाया है। ये प्रॉपर्टीज अभी सरकार के एनिमी प्रॉपर्टी के कस्टोडियन के कब्जे में हैं।