17 जुलाई तक चलेगी काउंसलिंग
जेईई एडवांस-2019 के लिए काउंसलिंग और सीट आवंटन की प्रक्रिया 17 जुलाई तक चलेगी। जेईई एडवांस के परिणाम के आधार पर आईआईटी के अलावा राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली आरजीआईपीटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु (आईआईएससी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएसटी ), 6 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) में प्रवेश के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
एआईआर-79
मैंने 9वीं से सेल्फ स्टडी शुरू कर दी। 11वीं से कोचिंग में पढ़ाई की। मुझे अकेले में पढऩे की बजाए लोगों को देखते हुए पढऩा पसंद था, तो हॉल में बैठकर डाइनिंग टेबल पर पढ़ाई करती थी, लेकिन जब एग्जाम करीब आए तो फिर अपने रूम में बैठकर पढ़ाई करने लगी। अपने रूम में एक बोर्ड लगाकर रखा था, उसमें अपने अहम बिंदु लिख लेती थी और रात को सोने से पहले उन्हें रिवाइज कर लेती थी। हर दिन पढ़ाई करना और अपने विषयों को पसंद करना मेरी सक्सेस मंत्र रहा। मेरी हॉबी भरतनाट्यम, कथक और कविताएं लिखना है। इस शौक को आईआईटीज में पढऩे के दौरान भी जारी रखूंगी। आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई करूंगी। मेरे पापा डायरेक्टर इंडियन डिफेंस सर्विस ऑफ इंजीनियर्स सचिन कुमार पांडे हैं।
रैंक – 93
जेईई मेन्स में मुझे 213वीं रैंक मिली थी। तैयारी के हिसाब से मुझे अंडर-100 रैंक मिलने की उम्मीद थी। मेरे पापा चक्रेश जैन और मम्मी अनीता दोनों ही शासकीय स्कूल में प्रिंसिपल है। दोनों बहनें भी इंजीनियर है। उन्हें देखकर ही मैं आईआईटी के लिए मोटिवेट हुआ था। मैंने 9वीं से ही तैयारी शुरू कर दी थी। सात से आठ घंटे तक सेल्फ स्टडी करता था। कैमेस्ट्री टफ लगती थी तो फॉमूले एक छोटी कॉपी में लिखकर रख लिए। फ्री टाइम में उसे पढ़ता रहता था। सिलेक्शन के लिए टॉपर्स रहे सीनियर्स की भी मदद ली। एग्जाम में मैंने पहले कैमेस्ट्री का पोर्शन ही सॉल्व किया।
नाम – उत्कर्ष जैन
रैंक – 214
जेईई मेन्स में मुझे 618 रैंक मिली थी। मेरा शुरू से आईआईटी में इंट्रेस्ट नहीं था। स्कॉलरशिप मिलने पर मैंने कोचिंग ज्वाइन की। वहां आईआईटी के प्रति रूझान हुआ। मैंने 9वीं से ही तैयारी शुरू कर दी। रोज 6 से 7 घंटे पढ़ाई करता था। कैमेस्ट्री के तैयारी के लिए एनसीईआरटी बुक्स की मदद ली। अन्य विषयों के लिए तैयारी कोचिंग मटेरियल और स्टैंडर्ड बुक्स का सहारा लिया। मैं पढ़ाई शुरू करने से पहले टॉपिक्स डिसाइड कर लेता था। जब तक टॉपिक की तैयारी पूरी नहीं हो जाती, पढ़ाई खत्म नहीं करता। मैं आईआईटी रुडकी या खड़कपुर से सीएस ब्रांच में पढ़ाई करना चाहता हूं। मेरे पिता विनीत जैन एसपी झाबुआ और मम्मी डॉ. शालिनी जैन हैं।
अभिलाष दत्ता
रैंक – 368
मेरे पापा डॉ. अरुण कुमार दत्ता सीपीआरआई में जेडी हैं। उन्हें देखकर ही आईआईटी की प्रेरणा मिली। 9वीं से तैयारी शुरू कर दी थी। हर दिन 7 से 8 घंटे घर पर तैयारी की। स्टडी रूम में दो टेबल रखी। एक पर रीडिंग करता, दूसरे पर टेस्ट के लिए तैयारी करता था। 12वीं में मैंने सभी सब्जेक्ट्स के बेसिक्स क्लियर कर लिए थे। इसलिए पेपर टफ आने के बाद भी परेशानी नहीं हुई। स्ट्रेस दूर करने के लिए मैं फुटबॉल खेलता था। मुझे जो चैप्टर भी टफ लगता, मैं उसके की-प्वाइंट्स हाई लाइट्स से मार्क कर देता था। मैंने तैयारी के लिए एनसीआरटी बुक्स की मदद भी ली। मैं आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रीकल या आईआईटी रुडकी से सीएस में पढ़ाई करना चाहूंगा।