आयोग ने शिक्षकों के लिए कुछ गाइड लाइन तय किए हैं, उसके अनुसार स्कूल में टीचर अब किसी भी स्टूडेंट्स के लिए वैसे शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे, जिससे वो आहत हों। या फिर उन पर उसका बुरा असर पड़े। जैसे शिक्षक गुस्से में कई बार बच्चे को बोल देते हैं कि गदहा, मूर्ख, फिसड्डी और नालायक। लेकिन अब अगर टीचर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं तो यह प्रताड़ना की श्रेणी में आएगा।
271 स्कूलों के बच्चों से की चर्चा
बाल आयोग की टीम ने प्रदेश 271 स्कूलों के बच्चों से बात की। इस दौरान उन्हें क्या-क्या परेशानी होती है, उस पर खुलकर बात की। जिसमें बड़ी वजह तनाव थी। बच्चों ने बाल आयोग की टीम से कहा कि शिक्षकों द्वारा किए जाने वाले तुलनात्मक व्यवहार से भी स्ट्रेस होता है। इसके साथ ही परीक्षा के समय अच्छा करने का प्रेशर होता है। इस दौरान ही बच्चों को सबसे ज्यादा तनाव होता है।
बच्चों से बातचीत के आधार पर ही बाल आयोग की टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के आधार पर बच्चों की पढ़ाई तनाव मुक्त हो। इसके लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग और मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मिलकर एक स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रोग्राम तैयार किया है। इस प्रोग्राम की जानकारी स्कूल में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को दी जाएगी कि उन्हें बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना है।
मास्टर ट्रेनर हो रहे तैयार
बाल संरक्षण आयोग की कोशिश है कि इसका पालन सभी स्कूलों में हो। इसके लिए आयोग मास्टर ट्रेनर तैयार कर रही है। मास्टर ट्रेनर स्कूल के प्रिंसिपल, कुछ टीचर और ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी होंगे। जिन्हें भोपाल में रीजनल इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण दिया गया है। इनकी ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी तो आयोग प्रदेश के सभी स्कूलों की मॉनीटरिंग संकुल प्राचार्यों की मदद से करेगा।
बाल संरक्षण आयोग की कोशिश है कि इसका पालन सभी स्कूलों में हो। इसके लिए आयोग मास्टर ट्रेनर तैयार कर रही है। मास्टर ट्रेनर स्कूल के प्रिंसिपल, कुछ टीचर और ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी होंगे। जिन्हें भोपाल में रीजनल इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण दिया गया है। इनकी ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी तो आयोग प्रदेश के सभी स्कूलों की मॉनीटरिंग संकुल प्राचार्यों की मदद से करेगा।
वहीं, पत्रिका डॉट कॉम से बात करते हुए बाल संरक्षण अधिकार आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि स्कूल में आम तौर पर शिक्षक बच्चों को गदहा, फिसड्डी, तुम नालायक और तुम पढ़ाई नहीं करते हो। ऐसे शब्दों को प्रयोग हमलोगों ने बिल्कुल वर्जित कर दिया है। अब ऐसे शब्दों का प्रयोग शिक्षक नहीं करेंगे। ऐसे शब्दों के प्रयोग से कई बार उनके मन में अवसाद पैदा हो जाता है। जिससे वो गंभीर घटनाओं को अंजाम दे देते हैं।
ब्रजेश चौहान ने कहा कि हमलोग मास्टर ट्रेनर तैयार कर रहे हैं। ये लोग भी शिक्षकों को एक-एक दिन की ट्रेनिंग देंगे और उन्हें बताएंगे कि कैसे बच्चों के साथ व्यवहार करना है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा शिकायतें ऐसी नहीं आती है। लेकिन जब शिकायत आती है तो हमलोग कार्रवाई करते हैं। प्रताड़ना की शिकायतें हमें स्कूलों के दौरे के दौरान मिली है। गाइड लाइन जारी होने के बाद अगर इस तरह की शिकायत मिलती है तो हम वैसे शिक्षकों पर कार्रवाई करेंगे।