मास्साब घर-घर जाकर तलाशेंगे स्कूलों के लिए बच्चे
भोपालPublished: Jun 16, 2021 12:57:06 pm
33 लाख 87 हजार छात्रों के एडमिशन का टारगेट
एक शिक्षक कराएगा 15 बच्चों का एडमिशन
भोपाल : सरकार अब स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने में जुट गई है। सरकार ने 33 लाख 87 हजार 947 बच्चों का स्कूलों में प्रवेश कराने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी शिक्षकों के उपर डाल दी गई है। एक शिक्षक 15 छात्रों का स्कूल में एडमिशन कराएगा। इसके लिए उसे घर-घर जाकर न सिर्फ बच्चों को तलाशना है बल्कि उनको स्कूल तक लेकर आना है। इसमें अभिभावकों की सहमति भी शामिल होगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने नए प्रवेश और ड्रॉपआउट बच्चों की सारी जानकारी इक_ी कर ली है। इस जानकारी को भी शिक्षकों के साथ बांटा जा रहा है ताकि उनको बच्चों को तलाशने में परेशानी न उठानी पड़े। इसके लिए बाकायदा नव प्रवेश प्रबंधन नाम का एक पोर्टल भी बनाया गया है। सरकार का ये अभियान गृह प्रवेशम है।
शिक्षक बनेंगे बच्चों के मेंटर :
शिक्षक उन बच्चों के मेंटर भी बनेंगे जिनका वो एडमिशन कराएंगे। यानी सरकार ने बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों को दी है। ये शिक्षक इन बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित करेंगे कि आगे ये स्कूल से नाता न तोड़ें। घर-घर संपर्क अभियान 15 दिन का है यानी 30 जून तक चलेगा। इन बच्चों का 15 दिनों में शत-प्रतिशत सत्यापन भी किया जाएगा।
2020-21 में 20 हजार बच्चों का सर्वे :
इससे पहले भी सरकार ने एक छोटी सी कोशिश की थी लेकिन वो ज्यादा कामयाब नहीं रही। कोरोना काल के कारण साल 2020-21 में 20816 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें से 8193 बच्चे स्कूलों में प्रवेश के लिए चिन्हित किए गए थे। 7693 बच्चों का परिवार उनके घर से पलायन कर चुका था। यानी ये लोग एक बार फिर मजदूरी के लिए दूसरे स्थानों की राह पकड़ चुके थे। 1893 परिवार ही घर पर मौजूद मिले थे। यही कारण है कि इस साल सरकार ने सभी शिक्षकों को इस काम में लगा दिया है और लक्ष्य भी बड़ा रखा है।
नामांकन में पिछड़ा है प्रदेश :
प्रदेश के सरकारी स्कूल नामांकन में बहुत पीछे हैं, इसीलिए सरकार ने उनके प्रवेश को मिशन मोड में लिया है। पहली से बारहवीं तक सरकारी स्कूलों से 80 फीसदी बच्चे ड्रॉपआउट हो जाते हैं। प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर छात्रों की संख्या तीन अंकों में भी नहीं है। एक तो सरकार के पास पहले ही एडमिशन कम हो रहे थे उस पर दो साल के कोरोना काल ने और हालत खराब कर दी। नए प्रवेश हुए नहीं और पढऩे वाले कई छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया। सरकार अब 33 लाख छात्रों को स्कूल में प्रवेश दिलाकर उनको पढ़ाई की तरफ मोडऩा चाहती है।
चुनौतीपूर्ण है इतने बच्चों का एडमिशन :
शिक्षा संघ की महामंत्री भावना शर्मा कहती हैं कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को वापस स्कूल तक लाना आसान काम नहीं है। कोरोना काल में ये काम और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कोरोना संक्रमण के इस समय में घर-घर जाना भी सुरक्षित रास्ता नहीं माना जा सकता। सरकारी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन न होने के पीछे शिक्षा का अधिकार कानून भी एक वजह है। इस कानून की वजह से निजी स्कूलों को निश्चित संख्या में बच्चों को प्रवेश देना पड़ता है इसलिए वे अपने आस-पास के प्रायवेट स्कूलों में भी एडमिशन ले लेते हैं।
प्रदेश की फैक्ट फाइल :
– सरकारी स्कूल – 122056
– प्रायवेट स्कूल – 29182
– सरकारी स्कूलों में शिक्षक – 323475
– प्रायवेट स्कूलों में शिक्षक – 244504
– सरकारी स्कूलों में छात्र – 9278857
– प्रायवेट स्कूलों में छात्र – 6140328