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कलियासोत पहुंचा विशेषज्ञों का दल, बोले-जानवर बड़ा है, ऐसे काम नहीं चलेगा

locationभोपालPublished: Feb 07, 2019 01:59:01 am

Submitted by:

Ram kailash napit

कलियासोत में संकट में फंसे घडिय़ाल को निकालने के लिए एक्सपट्र्स की टीम बुधवार दोपहर भोपाल पहुंच गई

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भोपाल. कलियासोत में संकट में फंसे घडिय़ाल को निकालने के लिए एक्सपट्र्स की टीम बुधवार दोपहर भोपाल पहुंच गई। टीम के सदस्यों ने आते ही कलियासोत बांध पहुंचकर मौके का जायजा लिया।
मुंह में फंसे जाल के साथ घूम रहे घडिय़ाल का आकार देखकर विशेषज्ञ भी हैरान रह गए, उन्होंने अधिकारियों और वन अमले से साफ कह दिया, घडिय़ाल बड़ा है, सामान्य जाल या रस्सी से काम नहीं चलेगा। टीम ने करीब एक घंटे से अधिक का समय कलियासोत पर बिताकर जरूरी संसाधनों की तैयारियां की। घडिय़ाल का रेस्क्यू ऑपरेशन गुरुवार सुबह से शुरू होगा।
मगरमच्छ यहीं रहेंगे
दोपहर बाद भोपाल वन मंडल के एसडीओ सुनील भारद्वाज के साथ टीम के सदस्य कलियासोत बांध पहुंचे। सदस्यों ने धूप सेंक रहे घडिय़ालों एवं मगरमच्छ को देखा तो साफ कहा यह वर्षों से यहां रह रहे हैं और काफी बड़े हो चुके हैं। संकटग्रस्त घडिय़ाल व उसके साथी को रेस्क्यू किया जाना चाहिए, जबकि मगरमच्छ अपने प्राकृतिक आवास में रह रहे हैं, उनके रेस्क्यू की जरूरत नहीं है।

संसाधनों के साथ 18 घंटे का सफर
मगरमच्छों और घडिय़ालों को रेस्क्यू करने में एक्सपर्ट वन विभाग के रिटायर्ड रेंजर सुदीप पाल, वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट के एक्सपर्ट डॉ. हिमांशु जोशी एवं चंबल घडिय़ाल अभयारण्य में काम करने वाले टीएसए की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर अरूणिमा और पांच मछुआरों की टीम संसाधनों के साथ मंगलवार शाम सड़क मार्ग से लखनऊ से रवाना हुई। 18 घंटे का सफर करके टीम दोपहर को भोपाल पहुंची।

टीम ने पानी की गहराई नापी
टीम ने नाव से पानी में जाकर पानी की गहराई से लेकर तापमान को नापा और घडिय़ालों के आकार वजन आकार का जायजा लिया। रेस्क्यू के बाद उन्हें ट्रांसपोर्ट करने के लिए विशेष वाहन से लेकर शांत रखने के लिए पानी छिड़कने जैसे संसाधनों की व्यवस्था के बारे में अधिकारियों से बात की जिसके अनुसार रात तक तैयारियां की जा रही थीं।

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