कंपनी जनरल कंसल्टेंट (जीसी) और उसकी टीम को तीन माह से बिना किसी काम के वेतन दिया जा रहा है। उधर, जबलपुर और ग्वालियर की मेट्रो के लिए डीपीआर सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। सरकार अपनी 12 साल पुरानी घोषणा को चुनाव से पहले पूरा करना चाहती है। इसके लिए 227 करोड़ रुपए के (डिजाइन एंड कांस्टेक्टिव ऑफ एलीवेटेड वाइडेक्ट) कॉरिडोर बनाने के लिए नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने चार दिन पहले टेंडर जारी कर दिया है।
यह कॉरिडोर 6.225 किलोमीटर का बनाया जाएगा। मेट्रो कंपनी ने चार से 22 जून तक टेंडर बुलाए हैं। टेंडर फॉर्म की कीमत 50 हजार रुपए है। कंपनी को 2.77 करोड़ रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करना पड़ेगा। टेंडर 29 जून को खोले जाएंगे। टेंडर पाने वाली कंपनी को नौ जुलाई तक काम शुरू करना होगा।
वादे से मुकरी सरकार
मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में सुभाष नगर से एम्स तक कॉरिडोर बनाने का टेंडर जारी किया गया है। जबकि, सरकार ने 10 माह पहले प्रथम चरण में करोंद से एम्स 14.99 किमी और भदभदा से रत्नागिरी तिराहा तक 12.88 किमी कॉरिडोर बनाने का वादा किया था। मेट्रो प्रोजेक्ट का फाइनेंशियल पैटर्न 20-20-60 है। इसमें केंद्र और प्रदेश सरकार प्रत्येक का 2897.10 करोड़ रुपए का अंशदान है। साथ ही 8691.35 करोड़ रुपए लोन के माध्यम से लोन, ग्रांट प्राप्त की जाएगी। यह राशि दोनों परियोजना के लिए 14485.55 करोड़ रुपए है।
कंपनी को रखना पड़ेगा डीडीसी
मेट्रो कॉरिडोर बनाने वाली कंपनी को डिटेल डिजाइन कंसल्टेंट (डीडीसी) रखना होगा। डीडीसी कॉरिडोर, स्टेशन और एंट्री गेट सहित अन्य काम का डिजाइन तैयार कर सरकार के सामने पेश करेगा। कंपनी को ज्वाइंट वेंचर बनाने की अनुमति दी है, लेकिन इनमें से तीन से ज्यादा कंपनियां सदस्य नहीं होंगी। इनको कम से कम चार किलोमीटर कॉरिडोर बनाने का अनुभव होना जरूरी है।
इन बैंकों से लोन के प्रयास
भोपाल और इंदौर मेट्रो के लिए यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक (ईआइबी) से कर्ज लिया जा रहा है। उक्त बैंकों की टीम दोनों शहरों का कई बार
दौरा कर चुकी है और इस संबंध में दोनों शहरों के डीपीआर का अध्ययन कर रही है। बैंक तभी लोन देगा जब केन्द्र इस मामले में अपनी सहमति देगा।
अभी लिखित अनुमति नहीं मिली है। केन्द्र सरकार के नगरीय प्रशासन सचिव से बातचीत हो गई है। टेंडर इसलिए जारी किए गए हैं कि इसकी प्रक्रिया में काफी समय लगता है, जून में इंदौर के भी टेंडर जारी किए जाएंगे।
-विवेक अग्रवाल, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं पर्यावरण विभाग