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भोपाल में जुटे प्रदेशभर के डॉक्टर, हड़ताल और आंदोलन के बीच पुलिस डॉक्टरों में कहीं विवाद गहराया तो कहीं झड़प तक की बनी स्थिति video

locationभोपालPublished: Sep 17, 2019 06:14:35 pm

doctors Protest and strike in MP: भोपाल में प्रदेश के डॉक्टरों की हड़ताल व आंदोलन…

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भोपाल। सातवें वेतनमान के साथ चाइल्ड केयर लीव और मेडिकल रिएंबर्समेंट जैसी मांगों को लेकर मंगलवार को प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेंजों के 3350 डॉक्टर राजधानी में आंदोलन का प्रयास किया। वहीं डॉक्टरों की इस हड़ताल के चलते मरीजों व उनके परिजनों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।
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LIVE: कहां क्या हुआ…
डॉक्टरों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने गांधी मेडिकल कॉलेज में पहुंची। जिसके चलते सीनियर डॉक्टर और पुलिस के बीच विवाद गहरा गया। जिसके चलते पुलिस ने और बल मंगाया गिरफ्तारी की तैयारी की, इधर डॉक्टर भी रैली निकालने के लिए आड़े रहे।
वहीं यहां पुलिस के पास बल कम पढ़ा तो उन्होंने डॉक्टरों को रोकने के लिए गेट पर ऑटो अड़ा दिया। जबकि कुछ डॉक्टर चुपचाप हमीदिया मेन गेट तक पहुंचने में सफल हो गए, पुलिस ने उन्हें भी रोका, लेकिन पुलिस की इस कोशिशों से नाराज डॉक्टरों ने विरोध किया तो पुलिस व डॉक्टरों के बीच झड़प की स्थिति निर्मित हो गई।
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पुलिस ने डॉक्टरों को बाहर जाने से रोका तो डॉक्टर हॉस्पिटल के परिसर में ही धरने पर बैठ गए। जिसके बाद पुलिस ने उनके सामने वाटर कैन्न खड़ी कर दी।

तमाम कोशिशों के बाद भी जब डॉक्टरों को आंदोलन से रोका गया तो पुलिस और डॉक्टर के बीच फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। वहीं इस दौरान डॉक्टर बाहर जाने की बात पर अड़े रहे। जबकि डॉक्टर और पुलिस के बीच विवाद के चलते पुलिस ने गेट बंद किया।
इससे पहले ये था प्लान…
सीनियर डॉक्टर्स मंगलवार दोपहर 1.30 बजे से हमीदिया अस्पताल से मुख्यमंत्री निवास तक रैली निकाल कर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। इसके लिए प्रदेशभर के चिकित्सकों का राजधानी पहुंचना भी शुरू हो गया है।
बड़ी बात यह है कि सीनियर डॉक्टरों को अब जूनियर डॉक्टरों के साथ मप्र मेडिकल ऑफिसर्स ऐसोसिएशन और शहर के निजी अस्पतालों का समर्थन भी मिल गया है।

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने यहां तक कहा है कि सरकार शांतिपूर्ण रैली निकाल रहे सीनियर डॉक्टर्स पर कोई कड़ा निर्णय लेती है, तो वे भी काम बंद कर देंगे। आंदोलन को लेकर सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
ये है मांग…
चिकित्सक एसोसिएशन का कहना है कि वेतनमान एवं अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह मूलभूत सुविधाओं मांगो को जब तक नहीं माना जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

यदि मांग पूरी नहीं होती है, तो सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक 30 सितंबर को सामूहिक रूप से इस्तीफा सौपेंगे। इसका सीधा असर मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने वाले मरीजों पर पड़ेगा।
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