दीनी तालीम लेने गया था महाराष्ट्र
अब्दुल करीम ने शुरुआती दीनी तालीम नटेरन ब्लॉक के सेऊ गांव के मदरसे से ली। इसके बाद वह देवबंद गया, जहां कट्टर सोच और जेहादी गतिविधियों के जरिये प्रदेश और देश में आतंकी घटनाएं करने के मंसूबे पाले बैठे बांग्लादेशी आतंकियों से उसकी मुलाकात हुई। स्लीपर सेल की तर्ज पर अब्दुल करीम ने खुद की गतिविधियां पूर्व की तरह बनाए रखीं और महाराष्ट्र के नंदूरबाद जिले के अक्कलकुवा में दीनी तालीम के लिए गया। दीनी तालीम पूरी होने के बाद अब्दुल विदिशा के लटेरी ब्लॉक के ग्राम मुरवासा में मौजूद मदरसे में पढ़ाने लगा। इधर, वह बांग्लादेशी आतंकियों के संपर्क में बना रहा और स्लीपर सेल बनाने में मदद करता रहा।
ऐसे पकड़ में आया अब्दुल करीम
बांग्लादेशी आतंकियों की योजना मप्र के शहरी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे मदरसों के जरिये जेहादी सोच को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें स्लीपर सेल में सक्रिय करना था। इसके लिए उन्होंने राजधानी से सटे विदिशा जिले के दूरदराज के उन गांवों को टारगेट किया, जहां मदरसों की तादाद अच्छी खासी है। 12 और 13 मार्च की दरमियानी रात राजधानी से जब चार आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, उसके एक दिन पहले अब्दुल कय्यूम महाराष्ट्र के अक्कलकुआं मदरसे में आयोजित सालाना जलसे में डिग्री ले रहा था। इस दौरान उसके माता-पिता भी वहां मौजूद थे। जलसे के बाद अब्दुल वहीं रुक गया था। साहवान से मिली जानकारी के बाद एटीएस ने मुरवासा के मदरसे की ओर रुख किया। यहां मौलवी को विश्वास में लेकर अब्दुल को फोन कर बुलवाया और 17 मार्च को उसे दबोच लिया।
अब्दुल करीम ने शुरुआती दीनी तालीम नटेरन ब्लॉक के सेऊ गांव के मदरसे से ली। इसके बाद वह देवबंद गया, जहां कट्टर सोच और जेहादी गतिविधियों के जरिये प्रदेश और देश में आतंकी घटनाएं करने के मंसूबे पाले बैठे बांग्लादेशी आतंकियों से उसकी मुलाकात हुई। स्लीपर सेल की तर्ज पर अब्दुल करीम ने खुद की गतिविधियां पूर्व की तरह बनाए रखीं और महाराष्ट्र के नंदूरबाद जिले के अक्कलकुवा में दीनी तालीम के लिए गया। दीनी तालीम पूरी होने के बाद अब्दुल विदिशा के लटेरी ब्लॉक के ग्राम मुरवासा में मौजूद मदरसे में पढ़ाने लगा। इधर, वह बांग्लादेशी आतंकियों के संपर्क में बना रहा और स्लीपर सेल बनाने में मदद करता रहा।
ऐसे पकड़ में आया अब्दुल करीम
बांग्लादेशी आतंकियों की योजना मप्र के शहरी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे मदरसों के जरिये जेहादी सोच को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें स्लीपर सेल में सक्रिय करना था। इसके लिए उन्होंने राजधानी से सटे विदिशा जिले के दूरदराज के उन गांवों को टारगेट किया, जहां मदरसों की तादाद अच्छी खासी है। 12 और 13 मार्च की दरमियानी रात राजधानी से जब चार आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, उसके एक दिन पहले अब्दुल कय्यूम महाराष्ट्र के अक्कलकुआं मदरसे में आयोजित सालाना जलसे में डिग्री ले रहा था। इस दौरान उसके माता-पिता भी वहां मौजूद थे। जलसे के बाद अब्दुल वहीं रुक गया था। साहवान से मिली जानकारी के बाद एटीएस ने मुरवासा के मदरसे की ओर रुख किया। यहां मौलवी को विश्वास में लेकर अब्दुल को फोन कर बुलवाया और 17 मार्च को उसे दबोच लिया।