कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने इस मांग को आंदोलन का रूप देने के लिए शपथ भी ली। कार्यक्रम का संयोजन पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पाण्डे ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों को खुश करने के चक्कर में भोपाल में बेंच की स्थापना नहीं की गई। वर्तमान में पास्को एक्ट के मामले दर्ज होना बंद हो जाएं, तब भी जिस रफ्तार से निर्णय हो रहे हैं, उनके निस्तारण में 58 साल लग जाएंगे।
वरिष्ठ विचारक शांतिलाल ने कहा कि राज्य पुनर्गठन आयोग ने क्षेत्रीयता के आधार पर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की, जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि भोपाल की जनसंख्या प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। इस लिहाज से भी यहां बेंच की आवश्यकता है। पत्रिका समाचार पत्र के राज्य संपादक जिनेश जैन ने कहा कि सस्ता, सुलभ और भ्रष्टाचार मुक्त न्याय आम आदमी की मांग है। न्याय की श्रेष्ठता इसी में है कि वह लोगों को उनके द्वार पर मिले, लेकिन विडंबना यह है कि किसी भी सरकार की प्राथमिकता में यह नहीं है।
हाईकोर्ट में अपील नहीं कर पाते हैं लोग
सामाजिक कार्यकर्ता एवं काउंसलर रीता तुली ने कहा कि आज महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में काफी वृद्धि हुई है। उन्हें जल्द न्याय दिलाने के लिए भी बेंच जरूरी है। सेवानिवृत्त एडिशनल एसपी ललित कुमार ने बताया कि उच्च न्यायालय में अपील करने की जानकारी और पहुंच न हो पाने के कारण भी सैकड़ों लोग न्याय से वंचित हैं। उन्होंने इस अभियान को पूरा समर्थन देने की बात कही। सामाजिक कार्यकर्ता एवं बेरोजगार सेना के अध्यक्ष अक्षय हुंका ने कहा कि राजधानी में बेंच की स्थापना दो तरह से हो सकती है।
पहला मुख्यमंत्री स्वयं यहां पर बेंच स्थापित करने की मांग करें और दूसरा संसद और प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई जाए। इसके लिए उन्होंने काम करने की बात कही। जिला बार एसोसिएशन के सदस्य आरके पांडे ने कहा कि हाइकोर्ट बेंच की मांग को जूनियर बार एसोसिएशन के 40 हजार वकीलों का समर्थन है। उन्होंने इस मामले को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिए एक कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव रखा। लॉ की छात्रा सांची राजे देवलिया ने कहा कि इसे जन आंदोलन बनाना होगा। आज आम आदमी के अधिकारों में राजनीतिक दखल ज्यादा है।