इसके चलते स्कूलों में भी उनका दाखिला करवाने में परेशानी आ रही है। शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग में इसी तरह का एक मामला सामने आया है। बागसेवनिया निवासी मौना भगोरे के चौथी कक्षा के बच्चों को इंदौर के परदेसीपुरा स्थित शासकीय अस्थि बाधित आश्रम ने रखने से ही इंकार कर दिया।
आश्रम संचालक का तर्क है कि टीसी और स्कूल के रिकॉर्ड के बिना बच्चे को नहीं रखा जा सकता। इसकी फरियाद लेकर मौना बाल संरक्षण आयोग पहुंची तो आयोग ने आश्रम संचालक को जमकर फटकार लगाई।
वहीं सामाजिक न्याय विभाग से सवाल-जवाब किया है कि बच्चों की पढ़ाई के इंतजाम के ही बिना इधर-उधर भेजना बच्चों का मानवाधिकार का हनन है। इसको लेकर जवाब मांगा है कि कितने बच्चों को कहां, कहां भेजा और वे अब किस हालात में हैं।
एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट आयोग को आशंका है कि प्रदेशभर के एेसे आश्रमों में रहने वाले करीब ४०० बच्चों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है, लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं होने से बच्चों का स्कूल प्रभावित हो रहा है। आयोग ने