भोपाल

बाल गृहों से इधर-उधर भेजे गए बच्चे हो रहे परेशान, स्कूल में दाखिले के लिए मांग रहे रिकॉर्ड

दिव्यांग बच्चों को कहां रखा, उनकी पढ़ाई की क्या व्यवस्था की?
 

भोपालOct 13, 2018 / 10:04 am

Radhyshyam dangi

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बैरागढ़ स्थित साईं विकलांग आश्रम और अवधपुरी से अश्विनी शर्मा के मूक बधिर आश्रमों से इंदौर सहित अन्य जगह भेजे गए दिव्यांग बच्चे अब भी परेशान है। प्रशासन ने बच्चों की सुविधा के लिए दूसरी जगह भेज दिया, लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं भेजा।

इसके चलते स्कूलों में भी उनका दाखिला करवाने में परेशानी आ रही है। शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग में इसी तरह का एक मामला सामने आया है। बागसेवनिया निवासी मौना भगोरे के चौथी कक्षा के बच्चों को इंदौर के परदेसीपुरा स्थित शासकीय अस्थि बाधित आश्रम ने रखने से ही इंकार कर दिया।

आश्रम संचालक का तर्क है कि टीसी और स्कूल के रिकॉर्ड के बिना बच्चे को नहीं रखा जा सकता। इसकी फरियाद लेकर मौना बाल संरक्षण आयोग पहुंची तो आयोग ने आश्रम संचालक को जमकर फटकार लगाई।

वहीं सामाजिक न्याय विभाग से सवाल-जवाब किया है कि बच्चों की पढ़ाई के इंतजाम के ही बिना इधर-उधर भेजना बच्चों का मानवाधिकार का हनन है। इसको लेकर जवाब मांगा है कि कितने बच्चों को कहां, कहां भेजा और वे अब किस हालात में हैं।

 

एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

आयोग को आशंका है कि प्रदेशभर के एेसे आश्रमों में रहने वाले करीब ४०० बच्चों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है, लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं होने से बच्चों का स्कूल प्रभावित हो रहा है। आयोग ने
यह भी आशंका जताई है कि वहां भी निश्चित तौर पर बच्चों का मानवाधिकार हनन किया जा रहा है। कितने बच्चों को इधर-उधर भेजा गया हैं, और अब वो किस स्थिति में निवास कर रहे, पढ़ाई की क्या व्यवस्था की गई है, इसको लेकर एक सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
रिकॉर्ड जब्त

इधर, आश्रमों में रहने वाले बच्चों और उनके पालकों के सामने एक समस्या यह भी आ रही है कि जिन आश्रमों में बच्चे रह रहे थे, वहां का पूरा रिकॉर्ड पुलिस ने जब्त या सील कर है। इसके चलते बच्चों का रिकॉर्ड दूसरी जगह नहीं भेजा जा सका। इसलिए वहां बिना रिकॉर्ड के प्रवेश देने में तरह-तरह के सवाल किए जा रहे हैं।
 

आयोग को जानकारी मिली है कि भोपाल समेत, ग्वालियर आदि जगहों से बच्चों को दूसरी जगह भेजा गया है। लेकिन उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इंदौर में बिना टीसी के बच्चे को प्रवेश नहीं देने की शिकायत मिली है, इस बारे में सामाजिक न्याय विभाग से जवाब मांगा गया है।
ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल संरक्षण आयोग।
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