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बुजुर्गों ने कहा- हमें पैसा नहीं, मान- सम्मान चाहिए, हम इतने में ही खुश

locationभोपालPublished: Feb 14, 2019 09:26:03 pm

Submitted by:

Rohit verma

समाज और नई पीढ़ी सेवानिवृत्त और वरिष्ठजनों के अनुभव का ले सकती है लाभ

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बुजुर्गों ने कहा- हमें पैसा नहीं, मान- सम्मान चाहिए, हम इतने में ही खुश

भोपाल. हमारे वरिष्ठ नागरिक समाज के वटवृक्ष की तरह होते हैं। जीवन के लगभग 30 से 40 वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में शासकीय और प्राइवेट जॉब का अनुभव संजोए रिटायरमेंट के बाद सिर्फ घर परिवार की चारदीवारी तक ही सीमित रह जाते हैं। जबकि यह वरिष्ठजन सामाजिक क्षेत्रों सहित सरकार के विभिन्न विषय क्षेत्र के कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत एवं कार्य विशेषता में माहिर होते हैं।

इनके इन्ही अनुभव एवं विशेषता का ग्रामीण एवं शहरी विकास योजनाओं में शासन द्वारा उपयोग किया जाए तो योजनाओं को बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जा सकता है और अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुचाया जा सकता है। लेकिन इन अनुभव वाले विषय को अनदेखा किया जाता है।

फिर से लौट आया हमारा आत्मविश्वास
अधिकांश वरिष्ठ नागरिक सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि के लिए मीटिंग तक ही सीमित रहते हैं। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश सक्सेना द्वारा इसके लिए मुहिम शुरू की गई। उन्होंने वरिष्ठजनों से बातकर उनकी विविध क्षेत्रों में विशेषता का लाभ ग्रामीण विकास के लिए करने के उद्देश्य से करमई, बमनयी गांव में समाज सेवा और लोगों की मदद से शुरुआत की। वरिष्ठों का कहना है, इससे हमारा आत्मविश्वास जागृत हुआ है। हमारी काबिलियत और अनुभव का कहीं आमजन व गरीबों के लिए उपयोग हो जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है। इस तरह हमारा समय भी पास हो जाता है और हमारा आत्मविश्वास भी पुन: लौट आएगा।

 

बुजुर्गों से अपेक्षा
जीवन के पूर्वार्ध में सब कुछ पा जाने के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ समर्पण करने की।
लेनेवाले (टेकर) से देनेवाला (गिवर) बनने की मनोवृत्ति अपनाने की, न कि नई पीढ़ी की सतत आलोचना की।
अपने अनुभव नई पीढ़ी से साझा करते हुए उसे अभिमंत्रित करने की।
समाज के निचले, पिछड़े एवं वंचित वर्ग के हित में कम से कम एक नि:स्वार्थ सेवा प्रकल्प को अपनाने की।
घर परिवार या समाज में आगत पीढ़ी को संस्कार प्रदान करते हुए चरित्र निर्माण की।
देश की विरासत से नौजवानों को परिचित कराने की।
साधन एवं साध्य दोनों की शुचिता से नौजवानों को अवगत कराने की।
प्रेम, स्नेह व सौहार्द के पाठ से सबको अवगत कराने की।
एक घंटा देश को, एक घंटा देह को आचरण में अंगीकार करने की

वरिष्ठों का ले सकते हैं लाभ
सेवा निवृत्त बैंक अफसर कांउसलर्स की भूमिका अच्छी निभा सकते हैं। रोजाना बैंकों में ऐसे अनेक लोग आते हैं जिन्हें बैंकिंग सेवाओं से संबंधित बहुत सी जानकारियां नहीं होतीं। ऐसे में वे परेशान होते हैं। बैंक चाहे तो रिटार्य अफसरों की एक हेल्प डेस्क बना सकते हैं, जो दिन में दो घंटे भी दें तो बहुत लोगों को फायदा मिल सकता है।
आरएस श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, भोपाल

 

अनुभव एवं आयु का समायोजन
जीवन में सफलता के दो ही शर्तिया सूत्र हैं जोश तथा होश। नई पीढ़ी जहां अपनी स्फूर्ति, उत्साह एवं ऊर्जा के परिपेक्ष्य में जोश की ***** है, वहीं बुजुर्ग पीढ़ी अपने अनुभव जन्य ज्ञान के परिपेक्ष्य में होश की। यह स्वयं सिद्ध है कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य अंग हंै, युवा यानी जोश और बुजुर्ग अर्थात होश।
विजय जोशी, पूर्व गु्रप महाप्रबंधक, भेल

अब समाज सेवा का कार्य
42 साल शिक्षक की नौकरी के बाद रिटायर्ड हुआ तो सामाजिक कार्य करना शुरू कर दिया। एक गांव गोद लेकर उसके पुनुरुद्धार के लिए काम किया। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं। बुजुर्ग खुद अपनी जिम्मेदारी समझें और सामाजिक कार्य करें, ताकि आप समाज में अपना मान-सम्मान पा सकें।
बीएस भाटी, पूर्व प्रधानाध्यपक औबेदुल्लागंज

 

अपने अनुभवों का करें उपयोग
2012 रिटायर्ड होने के बाद समाज सेवा का काम कर रहा हूं। अभी जन अभियान परिषद में परामर्श दाता के तौर पर लोगों को सलाह दे रहा हूं। हम अपनी 39 साल की नौकरी का अनुभव समाज युवा पीढ़ी और सरकार को देना चाहते हैं। वरिष्ठजनों को उनके फील्ड के हिसाब से उन्हें समाज को अवेयर करने की जिम्मेदारी सौंपना चाहिए, ताकि हमारा सामाज और देश अव्वल बन सके।
पीके परसाई, पूर्व कृषि विकास अधिकारी, औबेदुल्लागंज

अब समाज को लौटाने का समय
हायर सेकंड्ररी में कामर्स का लेक्चरर था। 38 साल की नौकरी के दौरान समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है। अब समय है कि हम समाज को अपने अनुभवों का लाभ देकर उसकी भरपाई करें। इसके लिए हम सतत प्रयास कर रहे हैं। रिटायर्ड पर्सन से हमारी अपील है कि आस-पास की स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाएं और अपने अनुभवों का उन्हें लाभ दें, ताकि नई पौध आगे बढ़ सके।
प्रेम नारायण सोनी, पूर्व शिक्षक औबेदुल्लागंज

गांव का हर बच्चा शिक्षित हो
39 साल की नौकरी के बाद अब समाज सेवा का कर्य कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि हर बच्चा स्कूल जाए और वह शिक्षा ग्रहण कर सके। हम इसके लिए लोगों को अवेयर कर रहे हैं। ग्रामीणों को पौधरोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं हैं, ताकि लोगों की आय भी बढ़े और वे जंगल के ऊपर निर्भर न रहें। हर घर में कम से कम पांच पौधे होना ही चाहिए, ताकि हरियाली व पर्यावरण का संतुलन बना रहे।
वंशगोपाल द्विवेदी, पूर्व डिप्टीरेंजर, औबेदुल्लागंज

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