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MP के सरकारी दफ्तरों में सबसे पहले होंगे बुजुर्गों के काम, दुकानों पर मिलेगी रियायत…और भी बहुत कुछ खास

locationभोपालPublished: Oct 10, 2019 11:21:07 pm

बुजुर्गों की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार बना रही है पॉलिसी

The elderly will get special facilities in Madhya Pradesh

The elderly will get special facilities in Madhya Pradesh

अरुण तिवारी @ भोपाल. प्रदेश सरकार बुजुर्गों की सुविधा के लिए नई पॉलिसी बनाने जा रही है। सरकारी दफ्तरों में अब इनके काम प्राथमिकता से होंगे। अस्पतालों में भी पहले मौका मिलेगा। सरकार कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठान भी तय करने जा रही है, जहां बुजुर्गों को निश्चित डिस्काउंट मिलेगा। इसके निर्देश जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे।
पेंशन संबंधी काम हो, पीएफ से जुड़ी दिक्कतें या फिर बिजली, पानी के बिल जमा करना हो, बजुर्गों को पहले अवसर दिया जाएगा। उनके बैठने के साथ पानी की व्यवस्था होगी। आनंद विभाग के शोध के अनुसार अगले 30 सालों में 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या युवाओं से ज्यादा होगी। बुजुर्गों के लिए प्रदेश में पहले से ही वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट-2007 लागू है, जिसमें बुजुर्ग अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं। अपनी देखभाल के लिए निश्चित राशि लेने की पात्रता भी रखते हैं। सरकार इस कानून का सख्ती से पालन करवाएगी। प्रदेश में बुजुर्गों का औसत, राष्ट्रीय औसत के बराबर है। प्रदेश में 8 फीसदी, जबकि देश में 8.6 फीसदी बुजुर्ग हैं। विधि एवं अध्यात्म मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि सरकार बुजुर्गों की पूरी चिंता कर रही है। वृद्धों से संबंधित कानून का भी सख्ती से पालन कराया जाएगा।

30 सालों में इतनी वृद्धि होगी
आनंद विभाग के सीईओ अखिलेश अर्गल कहते हैं कि जनसांख्यिकीय प्रोफाइल दिखाती है कि 2000-2050 के बीच यानी अगले तीस सालों में प्रदेश की जनसंख्या में करीब 55 फीसदी का इजाफा होगा। इनमें 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों की जनसंख्या में 326 फीसदी की वृद्धि होगी। वहीं 80 से ज्याद उम्र के लोगों में 700 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। बुजुर्गों में महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक होगी। एक हजार पुरुषों पर 1033 महिलाएं होंगी।

बुजुर्गों के साथ दुव्र्यवहार के कारण

इन समस्याओं का सामना करते हैं बुजुर्ग

बच्चों की उपेक्षा : पीढ़ी के अंतराल और भौतिकवादी रवैये के कारण अक्सर बच्चे माता-पिता की उपेक्षा करते हैं।
अकेलापन : काम में व्यस्त रहने के कारण बच्चों के पास माता-पिता से मिलने का वक्त नहीं होता। शारीरिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को लगने लगता है कि वे उन पर बोझ हैं।
निराशाा : बुजुर्गों के मन में निराशा की भावना घर कर जाती है। उन्हें लगता है कि अब उनके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा।

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