scriptसवालों का जवाब नहीं देना चाहती सरकार, इसलिए चार दिन का सत्र तीन घंटे में ही कर दिया समाप्त | The government does not want to answer the questions of the people. | Patrika News

सवालों का जवाब नहीं देना चाहती सरकार, इसलिए चार दिन का सत्र तीन घंटे में ही कर दिया समाप्त

locationभोपालPublished: Aug 13, 2021 10:21:20 pm

राज्य में कोरोना से एक लाख से अधिक मौत हुई हैं, लेकिन सरकार 10 हजार मौत ही बता रही है। विपक्ष इस मामले पर सरकार से जवाब चाहता था, लेकिन सत्र स्थगित होने के कारण ऐसा नहीं हो सका।

सवालों का जवाब नहीं देना चाहती सरकार, इसलिए चार दिन का सत्र तीन घंटे में ही कर दिया समाप्त

सवालों का जवाब नहीं देना चाहती सरकार, इसलिए चार दिन का सत्र तीन घंटे में ही कर दिया समाप्त

भोपाल। राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार जनहित के सवालों से बचना चाहती है, इसलिए चार दिन का सत्र दो दिन में ही समाप्त कर दिया। इन दो दिनों में सदन की बैठकें तीन घंटे ही चलीं। जबकि इस मानसून सत्र में जनहित के सवालों की खासी संख्या थी। महंगाई, कोरोना में सरकारी लापरवाही और ऑक्सीन की कमी सहित अन्य लापरवाही से मौत, ओबीसी आरक्षण, ग्वालियर-चंबल में बाढ़ से भीषण तबाही, जहरीली शराब से मौत सहित अन्य ज्वलंत मुद्दे थे। इन मुद्दों पर सरकार सवाल पूछ गए थे। सदन में इन पर चर्चा भी होना थी, लेकिन सरकार बच का सामना नहीं करना चाहती। इसलिए सदन में चर्चा से भागी। समय के पहले मानसून सत्र स्थगित करवा दिया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने शुक्रवार को संयुक्त पत्रकारवार्ता में यह आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत एक साल में चार सत्रों में 60 दिन बैठकें होना चाहिए। लेकिन ऐसा न होकर मात्र तीन-चार ही ही बैठकें हो रही हैं। इस बार दो दिन ही बैठकें हुईं। इन विधायकों ने कहा कि सदन सदस्यों को अपनी बात रखने का हक है। विपक्ष के पास पास स्थगन, ध्यान आकर्षण, 139 पर चर्चा और अशासकीय संकल्प के माध्यम से जनता की बात रखने का अधिकार है। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के दौरान स्थगन और चर्चा की बात हुई थी, लेकिन सरकार इससे बचना चाहती है। इसलिए सत्र स्थगित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना से एक लाख से अधिक मौत हुई हैं, लेकिन सरकार 10 हजार मौत ही बता रही है। विपक्ष इस मामले पर सरकार से जवाब चाहता था, लेकिन सत्र स्थगित होने के कारण ऐसा नहीं हो सका। राज्य में महंगाई अधिक है, लेकिन सरकार का इस पर नियंत्रण नहीं है। डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस के दाम अधिक हैं। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय कांग्रेस सरकार ने लिया था, लेकिन भाजपा सरकार इसे लागू नहीं करा पाई। कोर्ट में सही ढंग से पक्ष नहीं रखा गया। आदिवासियों के साथ अहित किया है। विपक्ष इन सभी सवालों पर सरकार से जवाब मांगना चाहती थी, लेकिन सरकार इन सवालों का जवाब देने से बचती रही।
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