प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में अब फीस के अंतर की राशि विद्यार्थियों को जमा नहीं करना पड़ेगी। मप्र प्रवेश एवं फीस नियामक कमेटी (एएफआरसी) द्वारा जिन कालेजों और पाठ्यक्रमों की जितनी फीस तय की जाएगी, उतनी फीस राज्य सरकार देगी। हालांकि इस तरह की व्यवस्था अनुसूचित जन जाति (एसटी) वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए सरकार ने पिछले साल ही तय कर दी थी। गौरतलब है कि अनुसूचित जाति विभाग अभी तक एएफआरसी द्वारा तय की गई न्यूनतम फीस छात्र-छात्राओं को देता था।
एएफआरसी ने अगर किसी निजी कालेज की फीस ज्यादा तय की है और छात्र-छात्राएं उन कालेजों और पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं तो इसमें न्यूनतम फीस सरकार देती थी , लेकिन से जो फीस में अंतर की राशि होती थी उसे विद्यार्थी अपनी जेब से जमा करते थे। क्योंकि एएफआरसी प्रत्येक निजी कालेजों के प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की फीस अलग-अलग तय करता है।
जबकि शासकीय कालेजों की पूरी फीस सरकार विद्यार्थियों को वापस करती है, भले ही शासकीय कालेजों में प्रोफेशन पाठ्यक्रमों की अलग-अलग फीस हो। अनुसूचित जाति विभाग ने शिक्षण संस्थाओं को इस संबंध में निर्देश जारी किया है कि वह विद्यार्थियों से अंतर की राशि न वसूले। छात्र-छात्राओं की पूरी फीस उन्हें विभाग द्वारा दी जाएगी। एससी वर्ग के करीब दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं हर साल प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं।
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति विभाग अभी तक एएफआरसी द्वारा तय की गई न्यूनतम फीस छात्र-छात्राओं को देता था। एएफआरसी ने अगर किसी निजी कालेज की फीस ज्यादा तय की है और छात्र-छात्राएं उन कालेजों और पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं तो इसमें न्यूनतम फीस सरकार देती थी , लेकिन से जो फीस में अंतर की राशि होती थी उसे विद्यार्थी अपनी जेब से जमा करते थे। क्योंकि एएफआरसी प्रत्येक निजी कालेजों के प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की फीस अलग-अलग तय करता है।
जबकि शासकीय कालेजों की पूरी फीस सरकार विद्यार्थियों को वापस करती है, भले ही शासकीय कालेजों में प्रोफेशन पाठ्यक्रमों की अलग-अलग फीस हो। अनुसूचित जाति विभाग ने शिक्षण संस्थाओं को इस संबंध में निर्देश जारी किया है कि वह विद्यार्थियों से अंतर की राशि न वसूले। छात्र-छात्राओं की पूरी फीस उन्हें विभाग द्वारा दी जाएगी। एससी वर्ग के करीब दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं हर साल प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं।