राज्यपाल ने कहा कि डिजिटलाइजेशन के लिए किये जा रहे कार्य क्रांतिकारी प्रयास हैं। यह समय-सीमा में पूर्ण हों, यह आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कार्य पूर्णता पर मिलने वाले परिणाम उच्च शिक्षा व्यवस्था के प्रेरणा के स्त्रोत होगे। राज्यपाल ने कहा कि कार्य के सुचारू संचालन के लिए जरूरी है कि कुलपति पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ अधिकारिता के अनुसार स्वतंत्र रूप से कार्य करें। कार्य में आने वाली समस्याओं का समाधान भी करें। राज्यपाल ने कहा कि वित्तीय संसाधनों के लिए विश्वविद्यालयों में पराधीनता की व्यवस्था नहीं चलेगी। इसे बदलने के लिये आत्म-निर्भरता ही एक मात्र विकल्प है, जो संसाधन और आपसी सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्वरूप आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हो।
राज्यपाल ने इस अवसर पर एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन व्यवस्था के निर्माण में सहयोग देने वाले आई.टी. विशेषज्ञ संचालक, मुक्त एवं दूरवर्ती शिक्षा संस्थान संजय गुलाटी, सिस्टम प्रोग्रामर प्रभारी आई.टी.सेल. डॉ. नंदन त्रिपाठी बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक एवं प्रभारी अधिकारी एन.आई.सी. राजभवन जितेन्द्र कुमार पाराशर, प्राध्यापक, रसायनशास्त्र विभाग, प्रो. विजय कुमार अग्रवाल, विभागाध्यक्ष कम्प्यूटर एप्लीकेशन, डॉ.पी.के.राय अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय प्रभारी, कम्प्यूटर केन्द्र, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय डॉ. निरंजन श्रीवास्तव और प्रभारी कम्प्यूटर केन्द्र रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय डॉ ए.के. गुप्ता को पुरस्कृत किया। बैठक में राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे, अपर सचिव अभय वर्मा और शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।