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हाउसिंग सोसायटी ने प्लॉट ही नहीं पार्क, स्कूल की जमीन भी बिल्डरों को बेच दी

locationभोपालPublished: Jan 20, 2020 01:27:53 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

विशेष जनसुनवाई में 51 सोसायटियों की 172 शिकायतें पहुंचीं

हाउसिंग सोसायटी ने प्लॉट ही नहीं पार्क, स्कूल की जमीन भी बिल्डरों को बेच दी

हाउसिंग सोसायटी ने प्लॉट ही नहीं पार्क, स्कूल की जमीन भी बिल्डरों को बेच दी

भोपाल. गृह निर्माण सोसायटियों में प्लॉट ही नहीं, बल्कि पार्क और स्कूलों की जमीनें तक बेच दी। एक शिकायतकर्ता ने बताया कि लांबाखेड़ा में न्यू चौकसे नगर एसबीआई स्टाफ हाउसिंग सोसायटी की जमीन पर बसाया जा रहा है। जहां पर पार्क और स्कूल के लिए जगह छोड़ी गई थी, लेकिन सोसायटी पदाधिकारियों ने टीएंडसीपी के नक्शे में फेरबदल कर यह जमीन बिल्डर को बेच दी है। अब बिल्डर यहां मकान बनाकर बेच रहा है। अब तक 128 सोसायटी की 800 और शनिवार को विशेष जनसुनवाई में 51 सोसायटियों की 172 शिकायतें पहुंची। समन्वय हाउसिंग सोसाइटी के मामले में उषा नागले निवासी तुलसी नगर ने शिकायत कर बताया है कि 23 साल पहले सोसायटी की सदस्यता लेकर 15 सौ वर्गफीट का प्लॉट लिया था, लेकिन अब तक कब्जा नहीं मिला। नेहरू नगर के ईके रामचंद्र पिल्लई ने शिकायत की है कि सर्वधर्म हाउसिंग सोसाइटी में वर्ष-1984 में प्लॉट आवंटित किया था। जिसके बाद रजिस्ट्री भी करा ली गई, लेकिन प्लॉट नहीं मिला।

राष्ट्रपति से भी शिकायत, 870 लोगों का रुपया डूबा
समन्वय गृह निर्माण सोसायटी में हुए घोटाले के संबंध में एसएस मेहता ने राष्ट्रपति तक शिकायत की। तत्कालीन कलेक्टर ने मेहता से जुड़े छह प्लॉट की रजिस्ट्री शून्य करने के आदेश जारी किए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मेहता के छह रिश्तेदारों ने 1986 में प्लॉट बुक किए थे। समिति में 870 पीडि़त हैं।

रविवार को भी पहुंचे शिकायत करने
गृह निर्माण सोसायटी के संबंध में कुछ लोग रविवार को भी शिकायतें करने कलेक्टोरेट पहुंच गए। जब उन्हें वहां कोई अधिकारी नहीं मिला तो शिकायतकर्ताओं ने इधर उधर फोन लगाए। बाद में पता चला कि कुछ गफलत की वजह से ऐसा हुआ है। जबकि प्रशासन ने सिर्फ शनिवार को ही स्पेशल जनसुनवाई की थी। अधिकारियों का कहना है कि लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। उनकी शिकायतों को सुनकर जांच के लिए दिया जाएगा।

एफाआईआर में धारा बढ़ाने की तैयारी
शिकायतों में पड़ताल के बाद एक बात सामने आई है कि सोसायटी को 8 से 12 एकड़ जमीन आवंटित की गई तो सदस्य संख्या एक हजार से ऊपर कैसे गई। इससे साफ होता है कि सोसायटियों ने उस समय अपनी जेबें भरने के लिए ये फंडा निकाला और सदस्य पर सदस्य बनाते गए। जो सदस्य ताकतवर थे उन्हें प्लॉट मिल गए और जो थोड़े से कमजोर हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सहकारिता विभाग इस मामले में भी एक अन्य धारा एफआईआर में बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

जो भी शिकायतें आईं हैं, उनका निराकरण कराने के बाद लोगों को राहत दिलाई जाएगी। इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है।
तरुण पिथोड़े, कलेक्टर

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