एमपी में नेशनल पेंशन स्कीम के प्रति कर्मचारियों अधिकारियों की नाराजगी अभी भी व्याप्त है। कर्मचारियों का कहना है कि इसमें मासिक पेंशन बमुश्किल 3 हजार रुपए बनेगी जोकि घर चलाने के लिए अपर्याप्त है। जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलती है। बुढ़ापे में जब हम कुछ भी काम करने में असमर्थ हो जाएंगे, तब पेंशन के रूप में हर माह पर्याप्त रकम मिलना बेहद जरूरी है।
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प्रदेश में पेंशन बहाली के लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसके लिए नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम मध्यप्रदेश ने बैठक बुलाई है। 27 अक्टूबर को भोपाल में बुलाई गई इस प्रांतीय बैठक में पूरे प्रदेश के पदाधिकारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए रणनीति बनाएंगे।
भोपाल जिला अध्यक्ष सुरसरि प्रसाद पटेल के अनुसार नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय सचिव व प्रांताध्यक्ष परमानंद डेहरिया, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हीरानंद नरवरिया, प्रदेश मीडिया प्रभारी अवनीश श्रीवास्तव भी इस बैठक में शामिल होंगे। बैठक में मध्यप्रदेश में ओल्ड पेंशन के लिए आंदोलन पर चर्चा होगी। 2005 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने पर विचार विमर्श किया जाएगा।
संगठन पदाधिकारियों के अनुसार जो कर्मचारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे उनसे हम पूछ रहे हैं कि पेंशन के 3 हजार रुपए में घर और जीवन कैसे चलाओगे। पेंशन कर्मचारियों का हक है और इसके लिए हम हर लड़ाई लड़ेंगे।
एमपी के कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली का मुद्दा दिल्ली में भी उठाया जाएगा। 15 दिसंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन प्रस्तावित जिसमें मुद्दा उठाया जाएगा। इसकी तैयारी के लिए भोपाल की बैठक में भी चर्चा करेंगे। भोपाल और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में कर्मचारियों को राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल कराने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पेंशन बहाली आंदोलन को मजबूती मिलेगी।
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम पदाधिकारियों का कहना है कि नई स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और 14 प्रतिशत राशि सरकार मिलाती है। सेवानिवृत होने पर कर्मचारियों को कुल राशि की 50 प्रतिशत राशि एकमुश्त दी जाती है। शेष राशि से मासिक पेंशन बनाते हैं जोकि बमुश्किल 3 हजार रुपए होती है। ओल्ड पेंशन स्कीम में अंतिम आहरित वेतन की 50 प्रतिशत राशि कर्मचारी को पेंशन के रूप में दी जाती है।