भोपाल

दूसरे दिन भी जारी रहा गणपति बप्पा की विदाई का सिलसिला

विसर्जन के लिए कमलापति घाट और पे्रमपुरा घाट पर विशेष व्यवस्थाएं
 
 

भोपालSep 25, 2018 / 12:39 am

Bhalendra Malhotra

The last day of Ganeshotsav

भोपाल. अनंत चतुर्दशी चल समारोह रविवार की रात आठ बजे से शुरू होकर मंगलवार की सुबह 10 बजे तक चलता रहा, हालांकि झांकियों का विसर्जन कार्यक्रम शाम तक चलता रहा। जानकारी के मुताबिक इस दौरान 250 से ज्यादा छोटी बड़ी झांकियों चल समारोह में शामिल हुईं। इनमें से करीब 150 झांकियों को हिंदू उत्सव समिति ने नादरा बस स्टैंड के प्रवेश मार्ग पर टोकन दिया। वहीं बाकी की झांकियां विभिन्न रास्तों से चल समारोह में शामिल हो गईं। विसर्जन के लिए कमलापति घाट और पे्रमपुरा घाट पर नगर निगम द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई थी। यहां बड़ी और छोटी क्रेनों के साथ का गोताखोरों के दल भी तैनात किए गए थे। विसर्जन के दौरान अव्यवस्थाएं ना हो इसके लिए छोटी झांकियों को कमलापति घाट तो बड़ी झांकियों को प्रेमपुरा घाट ले जाया गया।
स्वच्छता का रखा विशेष ध्यान
विसर्जन के दौरान तालाबों में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया। पीओपी की मूर्तियों को तालाब में विसर्जित करने की बजाय उनका जलाभिषेक घाट पर ही एकत्रित कर लिया गया। इन मूर्तियों को अब विशेष तरीके से नष्ट किया जाएगा। वहीं घाटों पर गंदगी ना हो इसके लिए भी निगम के कर्मचारी नियुक्त किए गए थे।
इधर, रविवार को दस दिनों तक सब पर कृपा बरसाने के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश घरों से विदा हो गए। सुबह से ही गणपति बप्पा मोरया की गूंज हर तरफ सुनाई देने लगी। लोग डीजे की थाप पर गुलाल और अबीर उड़ाते बप्पा को विदा करने शहर के घाटों पर इक_ा होने लगे। पंडालों में सुबह से ही हवन पूजन और भंडारे चलते रहे। शाम को विशाल चल समारोह निकाला गया। चल समारोह में रंग-बिरंगी रोशनी से झिलमिलाती झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। रास्ते में श्रद्धालु ने भगवान गणेश की आरती उतारकर पूजा अर्चना की। चल समारोह का जगह-जगह स्वागत किया गया। इन झांकियों का सिलसिला पूरी रात चलता रहा। विसर्जन देर रात तक चला।
 

चल समारोह में 200 से ज्यादा झांकियां
हिंदू उत्सव समिति द्वारा आयोजित चल समारोह में 200 से ज्यादा झांकियां शामिल हुईं। समारोह की शुरुआत बस स्टेंड से हुई। इसके बाद जुलूस घोड़ा नक्कास, मंगलवारा, इतवारा, चिंतामन चौक, पीपल चौक, लखेरापुरा, सोमवारा होते हुए रानी कमलापति घाट और प्रेमपुरा घाट तक पहुंची।
 

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