लोगों को समझाने लिखी किताब
वरिष्ठजनों और खासकर युवाओं को इस कानून की जानकारी देने के लिए पुरुषोत्तम तिवारी ने प्रोटेक्शन ऑफ लाइफ एंड प्रॉपर्टी ऑफ सीनियर सिटीजन भी लिखी है। इस किताब में बुजुर्गों के लिए बनाए गए इस कानून की तमाम जानकारियों का उल्लेख किया है। यही नहीं किताब में बुजुर्गों से संबंधित 50 से ज्यादा अदालती मामलों को भी शामिल किया गया है। अधिवक्ता तिवारी के मुताबिक इस किताब को लिखने में उन्हें करीब 6 माह का समय लगा। जल्द ही इसका हिंदी संस्करण भी बाजार में आएगा।
वरिष्ठजनों और खासकर युवाओं को इस कानून की जानकारी देने के लिए पुरुषोत्तम तिवारी ने प्रोटेक्शन ऑफ लाइफ एंड प्रॉपर्टी ऑफ सीनियर सिटीजन भी लिखी है। इस किताब में बुजुर्गों के लिए बनाए गए इस कानून की तमाम जानकारियों का उल्लेख किया है। यही नहीं किताब में बुजुर्गों से संबंधित 50 से ज्यादा अदालती मामलों को भी शामिल किया गया है। अधिवक्ता तिवारी के मुताबिक इस किताब को लिखने में उन्हें करीब 6 माह का समय लगा। जल्द ही इसका हिंदी संस्करण भी बाजार में आएगा।
कुछ आंकड़े
बीते तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2016 में वरिष्ठ नागरिकों के साथ करीब 10 फ ीसदी अपराध बढ़े हैं। वर्ष 2014 में जहां 3438 प्रकरण दर्ज हुए थे, वहीं वर्ष 2015 में इनकी संख्या 3456 रही। वर्ष 2016 में बढ़कर यह 3877 पहुंच गई। रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2016 में वरिष्ठ नागरिकों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या 21 हजार 410 थी, जिसमें से 18 फ ीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी मध्यप्रदेश की रही है।
बीते तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2016 में वरिष्ठ नागरिकों के साथ करीब 10 फ ीसदी अपराध बढ़े हैं। वर्ष 2014 में जहां 3438 प्रकरण दर्ज हुए थे, वहीं वर्ष 2015 में इनकी संख्या 3456 रही। वर्ष 2016 में बढ़कर यह 3877 पहुंच गई। रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2016 में वरिष्ठ नागरिकों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या 21 हजार 410 थी, जिसमें से 18 फ ीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी मध्यप्रदेश की रही है।
कानून के प्रमुख अंश
– इस कानून के तहत सिर्फ एक ही अपीलीय अथॉरिटी जिला मजिस्ट्रेड होगा।
– बुजुर्गों द्वारा दिया गया आवेदन समरी ट्रायल में ही निपटाया जाएगा, 90 दिन के अंदर फैसला होगा।
– धारा 17 के मुताबिक पक्षकार स्वयं की पैरवी करेंगें या वह खुद किसी एनजीओ को मान्य करेंगे।
– धारा 27 के सिविल कोर्ट द्वारा किसी प्रकार का दखल या स्थगन नहीं हो सकेगा
– धारा 22-23 के अनुसार संपत्ति मिलने के बाद अगर संतान बुजुर्गों का ध्यान ना रखें तो एक आवेदन पर संपत्ति वापस बुजुर्गों को मिल जाएगी
– इस कानून के तहत सिर्फ एक ही अपीलीय अथॉरिटी जिला मजिस्ट्रेड होगा।
– बुजुर्गों द्वारा दिया गया आवेदन समरी ट्रायल में ही निपटाया जाएगा, 90 दिन के अंदर फैसला होगा।
– धारा 17 के मुताबिक पक्षकार स्वयं की पैरवी करेंगें या वह खुद किसी एनजीओ को मान्य करेंगे।
– धारा 27 के सिविल कोर्ट द्वारा किसी प्रकार का दखल या स्थगन नहीं हो सकेगा
– धारा 22-23 के अनुसार संपत्ति मिलने के बाद अगर संतान बुजुर्गों का ध्यान ना रखें तो एक आवेदन पर संपत्ति वापस बुजुर्गों को मिल जाएगी