मप्र शासन के राज्य वेतन आयोग (अग्रवाल आयोग) ने अपना प्रतिवेदन दिसम्बर २००९ में पेश किया था। आयोग ने रेंजर्स (वनक्षेत्रपाल) संवर्ग को ६५००-१०५०० का वेतनमान दिए जाने की अनुशंसा की थी। आयोग की अनुशंसाओं को ३१ मार्च २०१४ तक लागू करने का संकल्प लिया गया था। आयोग की सिफारिशों में से सिर्फ नाकेदार के वेतन के संबंध में अनुशंसा मानी गई, लेकिन बाकी वेतनमान संशोधन पर आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
बॉक्स-
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राज्य- रेंजर वेतनमान
मध्यप्रदेश- ९३००-३४८००- ३६०० छत्तीसगढ़ ९३००- ३४८००- ४३००
महाराष्ट्र ९३००- ३४८००-४४०० उत्तरप्रदेश ९३००- ३४८००-४८०० भूख हड़ताल के पांचवंे दिन आधा दर्जन बैठे उपवास पर
वनकर्मियों की क्रमिक भूख हड़ताल के पांचवे दिन वन संघ के जिलाध्यक्ष राकेश नामदेव के साथ, रेंजर आरकेएस चौधरी, रेंजर नितिन निगम, वन रक्षक रविन्द्र भारद्वाज, अनिल यादव, अग्निमित्र लौवंशी भूख हड़ताल पर बैठे। वनकर्मी संघ के महामंत्री आमोद तिवारी का कहना है कि वनकर्मियों की हड़ताल को ११ दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक शासन ने मांगों पर सुनवाई नहीं की है, जिससे वनकर्मियों में आक्रोश है, इस बार वन कर्मचारी अपना हक लिए बिना नहीं उठेंगे।
मध्यप्रदेश- ९३००-३४८००- ३६०० छत्तीसगढ़ ९३००- ३४८००- ४३००
महाराष्ट्र ९३००- ३४८००-४४०० उत्तरप्रदेश ९३००- ३४८००-४८०० भूख हड़ताल के पांचवंे दिन आधा दर्जन बैठे उपवास पर
वनकर्मियों की क्रमिक भूख हड़ताल के पांचवे दिन वन संघ के जिलाध्यक्ष राकेश नामदेव के साथ, रेंजर आरकेएस चौधरी, रेंजर नितिन निगम, वन रक्षक रविन्द्र भारद्वाज, अनिल यादव, अग्निमित्र लौवंशी भूख हड़ताल पर बैठे। वनकर्मी संघ के महामंत्री आमोद तिवारी का कहना है कि वनकर्मियों की हड़ताल को ११ दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक शासन ने मांगों पर सुनवाई नहीं की है, जिससे वनकर्मियों में आक्रोश है, इस बार वन कर्मचारी अपना हक लिए बिना नहीं उठेंगे।
‘आस-पड़ोस के आधा दर्जन राज्यों से तुलना में प्रदेश में रेंजर्स का वेतनमान सबसे कम है, जिसके बारे में लिखित रूप में तुलनात्मक अध्ययन शासन को दिया जा चुका है। अग्रवाल वेतन आयोग की अनुशंसाओं को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। हमारी सभी १८ मांगें तार्किक हैं, फिर भी सरकार सुनवाई नहीं कर रही।’
– निर्मल तिवारी, प्रातांध्यक्ष, वन कर्मचारी संघ