मैरिज गार्डन संचालकों की मानें तो उन्होंने ही ओवर फ्लो के पानी निकासी के लिए अपने स्तर पर जमीन के अंदर पाइप लाइन डालकर हलालपुरा की ओर इसे निकाल दिया है। वहां से पानी तालाब में जा रहा है या कहीं और इसकी जानकारी निगम को नहीं है। जिन गार्डनों में यह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, वहां का निरीक्षण व काम करने वाले कर्मचारियों से इसकी जानकारी ली तो नाम नहीं छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि इसे आज तक कभी चलता हुआ उन्होंने नहीं देखा है।
आयोजन के दौरान अगर इसका उपयोग भी हुआ होगा तो इसका जानकारी वहां काम करने वालों को ही नहीं है। जबकि एक गार्डन मालिक का कहना है कि जब आयोजन होता है, तब ही इसमें वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट के लिए आता है। ट्रीटमेंट किया हुआ पानी पीने योग्य नहीं होता, बस उसमें ट्रीटमेंट करने से उसकी बदबू खत्म हो जाती है।
नियम और हकीकत
मैरिज गार्डन के वेस्ट वॉटर को ट्रीट कर उसका पानी सिंचाई और अन्य खर्चों में उपयोग होगा। गीला कचरा अलग कर लिया जाएगा, पर गीला कचरा कम्पोस्ट होकर नहीं निकल पा रहा है। ट्रीट किए गए पानी से सिंचाई व अन्य खर्चों में उपयोग किया जा रहा है। ज्यादा पानी आने की स्थिति में ओवर फ्लो होने वाले पानी की निकासी की व्यवस्था भी प्रशासन ने नहीं की है, जबकि वेस्ट वाटर और गंदा पानी पाइप लाइन निकलकर हलालपुरा की ओर नालों में इंटरनल छोड़ा जा रहा है, जो बहकर तालाब में पहुंच रहा है।
लगाकर भूले जिम्मेदार
गार्डन का दूषित पानी तालाब में जाने का विरोध किए जाने पर तीन साल पहले प्रशासन ने इसे लगवा तो दिया, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग करना तो दूर, उससे निकलने वाले ओवर फ्लो पानी की निकासी की व्यवस्था भी प्रशासन ने नहीं की है। स्थिति यह है कि वेस्ट वाटर न तो गार्डनों में उपयोग हो रहा है और न ही पूरा फिल्टर हो पा रहा है।
ऐसे में इसे बाहर करने के लिए गार्डन संचालकों ने खुद की पाइप लाइन जमीन में डलवाकर इसे आगे लाकर छोड़ दिया है। यहां सिर्फ स्टैच्यू के रूप में दिखावे के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगा रखे हैं। इसे चलाने में आने वाले बिजली के खर्चें तक की बचत की जा रही है।
नहीं रुका गार्डनों का विकास
शासन ने नए गार्डनों के कैचमेंट में एनओसी पर रोक लगा रखी है, पर गार्डन संचालकों ने इसका भी तोड़ निकाल रखा है। कई लोगों ने ज्यादा बुकिंग के लिए एक गार्डन के कई हिस्से बना दिए हैं। उनके नाम बदल कर सेक्शन बना लिए हैं। कहने को एक गार्डन कहलाता है, पर बुकिंग अलग, अलग हिस्से में होती है। गार्डन के विकास की व्यवस्था यहां आज भी नहीं रुक रही है, जबकि हर साल निगम इन्हें एक साल की परमिशन आयोजन के लिए देता है।
मैरिज गार्डन में कितने प्लांट वाटर ट्रीटमेंट के लिए लगे इसकी जानकारी न तो मुझे है न वार्ड प्रभारी के पास है। मामला तीन साल पहले का है, रिकॉर्ड में कल दिखवा कर दे दूंगा।
-श्यामलाल शर्मा, जोनल अधिकारी
गार्डन से निकलने वाला खाद्य-पानी तालाब में न जाएं, इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाए थे। इसकी मॉनिटरिंग जोन व वार्ड स्तर पर तो होती ही है, वैसे पीसीबी को इसकी जांच करना चाहिए। मैं भी चेक करवा लेता हूं कि जोन व वार्ड से इसकी मॉनिटरिंग हो रही है या नहीं।
– राकेश शर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगमा