मध्यप्रदेश का पेसा कानून क्या है
देशभर के कई राज्यों में लागू पेसा एक्ट (PESA Act) का संबंध मध्यप्रदेश से ज्यादा है। क्योंकि मध्यप्रदेश के ही जनप्रतिनिधि दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बना गई समिति की अनुशंसा पर यह एक्ट बनाया गया था। 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था। इस कानून के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों की ओर से नियम बनाए जाने लगे थे। पेसा एक्ट की कोश कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही यह कानून अभी तक लागू नहीं हो सका है।
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73वां भारतीय संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पंचायती राज्य की व्यवस्था की गई है, इसी संशोधन के नियम-2 में यह उपबंध है कि पंचायतों में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए संख्या के आधार पर आरक्षित कर लाभ दिया जाए। इसी आधारशीलता पर पेसा एक्ट पारित किया गया है।
यह है उद्देश्य
आदिवासी परम्परा, रीति-रिवाजों, संस्कृति का संरक्षण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए यह एक्ट बनाया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी। उस समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय की ही व्यक्ति होगा। ग्राम समिति ही ग्राम के अहम निर्णय लेगी। नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध, बाजारों की देख-रेख, ऋण वसूली, पलायन करने वालों की जानकारी रखना।
पेसा अधिनियम
आदिवासियों के लिए बने कानून की रीढ़ माने जाने वाले पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई है। केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र के लिए विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 कानून लागू किया था। वर्तमान में 5वीं अनुसूची में छत्तीसगढ़, छारखंड, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, तेलंगाना और राजस्थान में लागू है। मध्यप्रदेश में इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया था। यह अब 15 नवंबर मंगलवार से लागू हो रहा है।
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