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गरीबों को मिल रहा है जरुरत का आधा राशन

locationभोपालPublished: May 04, 2020 03:48:50 pm

Submitted by:

Arun Tiwari

29 लाख मजदूरों के सामने आजीविका का संकट
– भोजन का अधिकार अभियान ने किया मैदानी सर्वे- 80 सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट
 

गरीबों को मिल रहा है जरुरत का आधा राशन

गरीबों को मिल रहा है जरुरत का आधा राशन

भोपाल : भोजन का अधिकार अभियान समेत प्रदेश के 80 सामाजिक संगठनों ने कोरोना और लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के हालातों का मैदानी सर्वे किया है। 40 दिनों के इस सर्वे में मजदूर,गरीब और निम्र आय वर्ग के लोगों की परिस्थितियों का अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें वर्तमान व्यवस्था और उसमें सुधार क लिए सुझावों को शामिल किया गया है। ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजकर सुझावों पर अमल करने की मांग की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश 29 लाख मजदूरों के सामने आजीविका का संकट पैदा होने वाला है। वहीं इस आपदा काल में गरीबों को एक महीने में जितने राशन की जरुरत होती है उससे आधा ही उनको दिया जा रहा है।

87 लाख बच्चों और महिलाओं को पोषण की जरुरत :
सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन कहते हैं कि छह साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और धात्री माताओं के अध्ययन से पता चला है कि इन परिवारों के चार सदस्यों को महीने में 50 किलो राशन की जरुरत होती है लेकिन इनको 20 किलो अनाज ही मिल रहा है। प्रदेश में छह माह से छह साल तक के 72 लाख 85 हजार बच्चे हैं जिनको पोषण आहर मिलता है। इसी तरह इस कार्यक्रम के तहत 14 लाख 63 हजार गर्भवती और धात्री माताएं आंगनवाड़ी केंद्रों में दर्ज हैं। वहीं आय के स्त्रोत न होने से प्रदेश के 29 लाख मजदूरों पर रोजी रोटी का संकट पैदा होने वाला है। आय कम होने का सीधा असर परिवार की खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा। सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए बड़ी कार्ययोजना की जरुरत है।

ये दिए गए सरकार को सुझाव :
विकास संवाद की अंजलि आचार्य कहती हैं कि इन जरुरतमंदों के लिए आईसीडीएस के तहत पूरक पोषण आहर की व्यवस्था 50 फीसदी पोषण को ही पूरी करती है इसलिए सरकार को अब इसके स्थान पर संपूर्ण पोषण आहार कार्यक्रम लागू करना चाहिए। पलायन करने वाले परिवारों के बच्चों को इससे जोड़ा जाना चाहिए। इस व्यवस्था का पूरी तरह विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दाल और तेल को शामिल किया जाना चाहिए। मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार और न्यूनतम मजदूरी की जगह लिविंग वेज दिया जाना चाहिए। सभी आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में पोषण वाटिका लगाना अनिवार्य होना चाहिए।
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