scriptभाजपा में केंद्र की ओर सिमट रहीं शक्तियां | The powers in the BJP remained confined towards the center | Patrika News

भाजपा में केंद्र की ओर सिमट रहीं शक्तियां

locationभोपालPublished: Jul 07, 2020 12:44:55 am

Submitted by:

anil chaudhary

मध्यप्रदेश में 11 अशोका रोड की बढ़ती ताकत

खैरागढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने थाने में किया हंगामा

खैरागढ़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने थाने में किया हंगामा

– कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश में भी यही फॉर्मूला अपनाया
– राज्यसभा चुनाव उम्मीदवार से लेकर शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार तक में पूरा दखल
भोपाल. कभी अपने विकेंद्रीकृत मॉडल के लिए पहचानी जाने वाली भाजपा में शक्तियां केंद्र की ओर सिमटती नजर आने लगी हैं। मध्यप्रदेश में पिछले छह महीनों में केंद्रीय संगठन का दखल तेजी से बढ़ा है। जो निर्णय पहले सत्ता और संगठन प्रदेशस्तर पर कर लेता था, अब उनके लिए 11 अशोका रोड की ओर देखा जा रहा है। कर्नाटक में येदियुरप्पा की सरकार के साथ शुरू किए गए इस फॉर्मूले को अब भाजपा मध्यप्रदेश में भी अपनाती नजर आ रही है। मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक इसका असर साफ नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश में जो सूची तैयार हुई थी, उनमें से कई चेहरे केंद्र ने बाहर कर दिए और उनकी जगह अपनी पसंद के नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी है।
– विनय और तोमर हुए वजनदार
प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे केंद्र की ओर शक्तियां जाने से वजनदार हुए हैं। पिछले दिनों विस्तार के दौरान सहस्त्रबुद्धे ही मंत्रियों की सूची लेकर पहुंचे थे। मंत्रियों में भी उनकी पसंद नजर आई और विस्तार के बाद डैमेज कंट्रोल में भी वह अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह केंद्र ने मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की भूमिका भी बढ़ाई। प्रदेश और केंद्रीय नेताओं की कई बैठकें तोमर के बंगले पर ही हुईं।

– सिंधिया प्रकरण के साथ बदले हालात
तीन मार्च को प्रदेश के भाजपा नेताओं ने ऑपरेशन लोटस के जरिए कांग्रेस के साथ सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश की, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हरियाणा की जिस होटल में विधायक पहुंचे थे वहां पहुंचकर पूरा खेल बिगाड़ दिया। सूत्रों के मुताबिक इस ऑपरेशन के फेल होने के बाद ही केंद्रीय संंगठन ने मध्यप्रेदश के सारे फैसले अपने हाथ में लिए और एक ही हफ्ते में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों को अपने पाले में लाकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी। इस ऑपरेशन की खबर प्रदेश के नेताओं को नहीं थी।
– राज्यसभा में सारे नाम केंद्र के
राज्यसभा चुनाव में मध्यप्रदेश संगठन ने बैठक करके 16 नामों का पैनल भेजा था, लेकिन केंद्र ने प्रदेश की सूची को सिरे से खारिज कर दिया। केंद्रीय संगठन ने चौकाते हुए निमाड़ अंचल के आदिवासी संघ कार्यकर्ता सुमेर ङ्क्षसह का नाम तो शामिल किया ही, साथ ही सिंधिया को भाजपा में एंट्री करवाकर उन्हें भी राज्यसभा में भेज दिया।
– जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में भी दखल
पिछले दिनों नियुक्त किए गए भाजपा जिला अध्यक्षों की नियुक्ति तक में केंद्रीय संगठन का दखल नजर आया। केंद्र अपनी गाइडलाइन पर अड़ा रहा और कई जिलों में उम्र के आधार पर प्रदेश के नेताओं द्वारा सुझाए गए नाम रिजेक्ट करके युवाओं को मौका दिया गया।

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