राज्य में एक ओर जहां आयुर्वेद को लेकर लोगों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दवा माफिया इन दवाओं के जल्द असर के लिए आयुर्वेद में एलोपैथी दवा भी मिला रहे हैं। इसमें दवा निर्माता भी शामिल हैं। ऐसे में विभाग ने दवा निर्माताओं के साथ दवा बिक्री करने वालों पर भी नजर रखने को कहा है। शुद्ध के लिए युद्ध की तर्ज पर प्रदेश में दवा माफिया के खिलाफ भी अभियान चलाने के निर्देश भी दिए गए हैं। अवैध तरीके से मादक दवाएं बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज होगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक रवीन्द्र सिंह ने जांच के सेंपल राज्य स्तरीय लैब में भेजने के निर्देश भी दिए हैं।
आयुर्वेद के नाम पर एलोपैथिक इलाज – राज्य में आयुर्वेद से इलाज की डिग्री लेकर एलोपैथिक पद्धति से इलाज पर भी विभाग की नजर है। ये डॉक्टर मरीजों को इजेक्शन लगाने के साथ ऑपरेशन भी कर रहे हैं, जबकि इनके पास डिग्री आयुर्वेद या फिर पद्धति से इलाज की होती है। विभाग की नजर झोलाछाप डॉक्टरों पर भी है। बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे डॉक्टरों की अधिकता है। ये भी एलोपैथी पद्धति से इलाज करते हैं। जबकि इन्हें इसका अधिकार नहीं हैं। इनसे पूछा जाएगा कि ये इतनी अधिक मात्रा में एलोपैथी दवाएं कहां से खरीदते हैं। इन सभी के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान चलेगा।
अधिकारी बोले,
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मिलावट खोरों पर कार्रवाई की जा रही है। दवा माफिया के खिलाफ भी इसी कड़ी में अभियान चलाया जा रहा है। आयुर्वेद दवाओं में भी एलोपैथी दवाओं के मिलावट की जांच होगी।
– रवीन्द्र सिंह, नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मिलावट खोरों पर कार्रवाई की जा रही है। दवा माफिया के खिलाफ भी इसी कड़ी में अभियान चलाया जा रहा है। आयुर्वेद दवाओं में भी एलोपैथी दवाओं के मिलावट की जांच होगी।
– रवीन्द्र सिंह, नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन