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ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा…

locationभोपालPublished: Feb 28, 2020 12:28:34 am

Submitted by:

mukesh vishwakarma

आरजीपीवी और एनएलआईयू में शाम-ए- कव्वाली का आयोजन
 
 

ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा...

ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा…

भोपाल. स्पीक मैके भोपाल चैप्टर की ओर से राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि और एलएनआईयू में शाम-ए-कव्वाली का आयोजन किया। इस दौरान देश के प्रख्यात कव्वाल वारसी बन्धुओं ने कव्वाली और सूफी गायन की सुमधुर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत में वारसी बन्धु अमजद खान वारसी और मोतिशय्यार वारसी ने अमीर खुसरो की रचना ‘अली इमाम है में उनका गुलाम हूं… पेश की। इसके बाद उन्होंने संत कबीर की रचना ‘अली जी वीर हो, बलवान हो, धरती पिता तुम ….सुनाई। शाम-ए-कव्वाली में वारसी बंधुओं द्वारा ‘दमा-दम -मस्त कलंदर …., ढलता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा…, मेरे रश्के कमर जैसी कव्वाली पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। वारसी बंधुओं ने हजरात खुसरों की रचना ‘मनकुन तो मौला, खवाजा अलीउल मौला, दरादिल …. सुनाई। साथ ही ‘भर दे झोली मेरी या मोहम्मद…, की संगीतमय प्रस्तुति दी। वारसी बंधुओं के साथ संगतकार के रूप में की-बोर्ड पर शोएब वारसी एवं तबले पर इकत्तेकार वारसी ने संगत दी।


शोध के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान आज भी जरूरी
भोपाल. उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान के रसायन विभाग की ओर से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी वुमंन एंड साइन्स का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन मप्र निजी विवि विनियामक आयोग के सभागृह में किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि पूर्व संचालक उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान डॉ. प्रमिला मैनी मौजूद रहीं। इस मौके पर डॉ. प्रमिला मैनी ने कहा कि शोध के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान आज भी जरूरी है। इसके लिए स्टूडेंट्स सभी स्थितियों में शोध कार्य करें। विद्यार्थी वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए समाज में व्याप्त समस्याओं का निराकरण करने के उपाय पर शोध कार्य करें। दूसरे सत्र में डॉ. सविता दीक्षित ने अपने शोध विषय पर प्रकाशा डाला, जिसमें जैव अपघटनीय पदार्थ जैसे गोबर, जलकुम्भी पादप, प्लास्टिक अवशेष को शोध द्वारा सामाजिक रूप से उपयोगी पदार्थ में परिवर्तित करने के उपाय बताए।

बाल कहानियों पर आधारित अभिनय कार्यशाला
जवाहर बाल भवन में गुरूवार को आधुनिक अभिनय कला प्रभाग में बच्चों के लिये बाल कहानियों पर आधारित अभिनय कार्यषाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रभारी सुश्री संघरत्ना बनकर ने बच्चों को पंचतंत्र की प्रसिद्ध बाल कहानियाँ बताते हुये अभिनय के गुर सिखाये।

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