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आप कैसे मरेंगे ये संबंधित है आपकी रहने वाली जगह से, देर होने से पहले जानिए

locationभोपालPublished: Nov 28, 2017 03:44:26 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

जिस जगह पर आप रहते हैं उस जगह का आप पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है…

human life cycle

human life cycle

भोपाल। क्या आप जानते है कि जिस जगह पर आप रहते हैं उस जगह का आप पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। यही वो जगह होती है जो आपको बताती है कि आपको हार्ट अटैक आएगा या नहीं। जी हां ये बिल्कुल सच है। तनाव भरी जिंदगी और अनियमित दिनचर्या के कारण युवाओं को दिल की बीमारी हो रही है। 30 साल के युवाओं को हार्ट अटैक आ रहा है। बात अगर मध्य प्रदेश की करें तो भोपाल और इंदौर में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। वहीं वायु प्रदूषण के लिए दुनियाभर में दिल्ली सबसे अधिक कुख्यात शहर के रूप में प्रचारित हो चुका है, लेकिन अब ग्वालियर सबसे आगे है। ग्वालियर इसलिए प्रदूषित हैं, क्योंकि यहां 15 साल से अधिक पुरानी गाडियां आज भी चल रही हैं। एयर पोल्यूशन के कारण हवा में नाइट्रोजन और मोनो ऑक्साइड गैसें भी ज्यादा मात्रा में मिल रही हैं, जिससे प्रदूषण का लेबल बढ़ा है। वहीं जानकारों के मुताबिक ग्वालियर में कचरा भी सही प्रकार से ठिकाने नहीं लगाया जाता। ग्वालियर में 250 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है और इसमें से आधा भी ठिकाने नहीं लगता। इन सब बातों के बाद आपको हार्ट अटैक आएगा या नहीं या फिर आपको अस्थमा होगा या नहीं ये वो ही जगह तय करती है जहां आप रहते हैं।

बीमारियां ले रही हैं जिंदगियां

भारत राज्य स्तर की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि सबसे ज्यादा भारतीयों को मारने वाली चिकित्सा स्थिति हृदय रोग है, इसके बाद सांस का रोग और दस्त। इन बीमारियों के कारण ही सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। अचानक हृदय रोग, जीवनशैली संबंधी हृदय संबंधी रोग, पंजाब और तमिलनाडु जैसे उच्च आय वाले राज्यों में अधिक होते हैं। जहां मौत की दर राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है।

 

हर साल 100 से अधिक तोड़ रहे दम

बात अगर सतना की करें तो यहां प्रतिवर्ष 100 से अधिक लोग दिल की बीमारी से दम तोड़ रहे हैं। मौत का यह आंकड़ा हर वर्ष बढ़ रहा है। इसमें बच्चे, युवा और वृद्ध सभी शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2013-2014 में 113 और 2015-16 में 130 लोगों ने हृदय की बीमारी से दम तोड़ा है। दिल के रोग से मासूम भी पीडि़त हैं। इनको यह दर्द जन्म के साथ ही मिल गया था। जिले में वर्ष 2016-17 में 80 ऐसे मासूम चिह्नित किए गए हैं जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित थे।

 


प्रतिवर्ष 325 लोगों को हार्ट अटैक

बात अगर रीवा की करें तो भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हृदय रोग की बीमारी बढ़ गई है। एसएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि हर साल औसतन 325 लोगों को हार्ट अटैक पड़ रहा है। जबकि हृदय की अन्य बीमारियों से पीडि़त औसतन ढाई हजार मरीज आईसीयू में पहुंच रहे हैं। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज इंदुलकर की मानें तो 50 फीसदी हार्ट अटैक के केस में मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। जबकि 25 फीसदी मरीजों की उपचार के दौरान मौत हो जाती है।

 


10 लाख की आबादी, 01 विशेषज्ञ

बात अगर पन्ना की करें तो आर्थिक रूप से पिछड़े पन्ना जिले में भी हृदय रोग बढ़ रहा है। यहां इलाज की समुचित सुविधा नहीं है। हालात यह हैं कि करीब 10 लाख की आबादी के बीच जिला अस्पताल में महज एक हृदय रोग विशेषज्ञ है। उनके पास सिविल सर्जन का भी प्रभार है। इससे उनका अधिकांश समय वरिष्ठ कार्यालयों को जरूरी जानकारी भेजने, सरकारी मीटिंग में बीत रहा है। जिला अस्पताल में अलग से हृदय रोग विभाग नहीं है। आधुनिक मशीनों का भी अभाव बना है। अस्पताल में पदस्थ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएस उपाध्याय ने बताया, बीते कुछ साल में पन्ना में भी हृदय की बीमारियों संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। जिला अस्पताल में प्रति माह औसतन 40-50 हृदय रोगी पन्ना जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। यहां जांच के लिए मशीनों के नाम पर सिर्फ ईसीजी की सुविधा मात्र है। इसके अलावा अन्य उपकरण का अभाव है।

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