अर्जुन सुभद्रा को बताते हैं चक्रव्यूह भेदन
काफी सोच विचारने के बाद अर्जुन उन्हें चक्रव्यूह का भेदन कैसे होता है, यह समझाते हैं सुनते सुनते सुभद्रा सो जाती हैं और उनके गर्भ में अभिमन्यु भी। समय बीतता है गांधार नरेश शकुनि चाल चलते हैं और युधिष्ठिर पूरी संपती सहित द्रौपदी सहित सब हार जाते हैं। इस दुर्भाग्य से महान युद्ध जन्म लेता है। जिसे रोकने भगवान कृष्ण पांडवों का संदेश लेकर जाते हैं और अपने पक्ष के लिए केवल पांच ग्राम मांग लेते हैं पर दुर्योधन क्रोधित हो उन्हें जंजीरो से जकड़ने का प्रयास करता है। जिस महान युद्ध को रोकने भगवान आए थे अब वह इस कृत्य से निश्चित हो जाता है।
चक्रव्यूह से बाहर आना नहीं जानते अभिमन्यु
युद्ध आरम्भ होता है कौरव अर्जुन को जकड़ने के लिए चक्रव्यूह का निर्माण करते हैं। अर्जुन इससे भिन्न युद्ध के दूसरे कोने में युद्ध कर रहे है। युधिष्ठिर चिंता से भरे हैं तभी अभिमन्यु कहते हैं की वह चक्रव्यूह भेदना चाहते हैं, वे पूरी कथा युधिष्ठिर को बताते हैं की वह मां के गर्भ में थे जब पिता ने चक्रव्यूह भेदन सुनाया था। वे जाते हैं चक्रव्यूह भेद कर अंदर चले जाते हैं पर बाहर आना नहीं जानते और अंदर सात महारथी बालक अभिमन्यु को घेर लेते हैं अभिमन्यु का वध करते है और अभिमन्यू वीरगति को प्राप्त होते हैं ।