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बीएनपी, भेल, गेल को प्रमाण पत्र देने वाली कैलिब्रेशन लैब में अब नहीं होंगे टेस्ट, अफसरों ने कर दी बंद

locationभोपालPublished: Feb 02, 2019 08:26:14 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

बिजली मीटर, नापतौल बांट से लेकर डिजिटल मल्टी मीटर सहित 67 उपकरणों की होती थी जांच
 

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भोपाल. मप्र की एकमात्र कैलिब्रेशन लैब, जिसमें सीपीआरआई, बीएनपी, डीजीएसएंडडी सहित भेल, गेल, नालको, बालको, एनएएआई, एनटीपीसी, एनएफएल, एनएचडीसी जैसे सैकड़ों कंपनियों-फैक्ट्रियों के उपकरणों की जांच करने वाली लैब ही बंद कर दी। इस लैब में जनता के उपयोग के हर उपकरण की जांच के बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
यह लैब राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मानकों पर सटीक जांच के लिए जानी जाती थी। लैब के प्रमाण पत्रों के बाद ही उपकरण बाजार में उतारे जाते थे। प्रमाणित उपकरण जैसे बिजली बिल, इलेक्ट्रिक तौल कांटे, बांट, स्कैल आदि सीधे जनता से जुड़े उपकरणों की भी जांच यहीं होती थी।
यही नहीं, आईएसओ सर्टिफाइड यह लैब नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) प्रमाणित थी, लेकिन अफसरों ने इससे लाभ नहीं होने के कारण इसे बंद कर दिया। जबकि बड़ी बड़ी कंपनियां इसी लैब का प्रमाण पत्र मान्य करती थी। अफसरों का तर्क है कि लैब से सरकार को कोई खास आय नहीं हो रही है। अब इस लैब में काम करने वाले स्टाफ के पास कोई खास
काम नहीं रहा। इंदौर और भोपाल में यह लैब थी, लेकिन दोनों ही जगह से इसे बंद कर दिया गया। इंदौर के ऑफिस को किराए पर दे दिया और वहां का स्टॉफ भोपाल बुला लिया गया जो अब खाली हाथ बैठा है।
राष्ट्रीय स्तर के संस्थान थे ग्राहक

मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन द्वारा संचालित इस लैब के बैंक नोट प्रेस, डीजीएसएंडडी, सीपीआरआई सहित सार्वजनिक क्षेत्र के भेल, एनएएआई, एनटीपीसी, बालको, गेल, एनएफएल, एनएचडीसी, निजी क्षेत्र के बिरला इरीकसन, क्राम्प्टन ग्रिव्स, एलएंडटी, ग्रेसिम इंडस्ट्रीज, यूनिवर्सिल कैबल्स, टाटा कैमिकल, लूपिन, रैनबैक्सी, एलपीसीए, एसीसी, मैहर सीमेंट, प्रि’म सीमेंट के अलावा कई छोटे-बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज, इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी आदि से जुड़े उद्योगों के उपकरणों को प्रमाण पत्र देने वाली प्रदेश की इकलौती लैब थी।
जन उपयोगी काम अब बाजार से होंगे

बिजली मीटर- बिजली मीटर सही से काम कर रहा है या रीडिंग कम-ज्यादा दे रहा है, इसकी टेस्टिंग होती थी। इसके बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाता था। प्रमाण पत्र के आधार पर ही इसे जनता के बीच उतारा जाता था। अब यह जांच व प्रमाण पत्र देने वाली सरकारी लैब नहीं है। बाजार के भरोसे यह काम होगा।
नापतौल की मशीन- इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे, बांट आदि की जांच की जाती थी। प्रमाण पत्र दिए जाते थे। कांटे से सही तुलवाई हो रही या नहीं इसकी जांच इस लैब में होती थी।
रेलवे के सिग्नल- रेलवे के सिग्नलों तक की इसमें जांच की जा सकती थी। सिग्नल उचित है या नहीं, ठीक से काम करेंगे या नहीं इसे यहां प्रमाणित किया जा सकता था। लेकिन अब यह सुविधा भी नहीं मिलेगी। अब यह अन्य प्रदेशों या खुले बाजार की कैलिब्रेशन लैब के भरोसे होगा जिसकी विश्वसनीयता पर संशय से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
67 उपकरणों की जांच की जाती थी

मैकेनिकल के स्कैल, टेप, कैलिपर, माइक्रो मीटर सहित 8 उपकरण, सोने-चांदी नापने के उपकरणों, आयतन नापने वाले उपकरण और तापमान नापने वाले 15 तरह के उपकरण, रेडियो प्रोसेसर के 8 और इलेक्ट्रो टेक्नीकल के 27 उपकरणों की यहां जांच होती थी। इन सभी उपकरणों को यहां प्रमाणित किया जाता था।
बंद करने का बेतुका तर्क
लैब में काम करने वाले स्टाफ का कहना है कि अफसरों को इस लैब में लाभ नजर नहीं आया। इसके कारण इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। अब स्टॉफ बेकाम हो गया।
लैब का प्रबंधन अच्छा नहीं था इसलिए निर्णय लिया है। लैब अभी बंद नहीं की है। हम इसे पीपीपी मोड पर चलाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हमारे पास इसे चलाने के लिए चार मॉडल है। आरजीपीवी यूनिवर्सिटी ने भी इसके उपकरण मांगे है। हमने उद्योगों से भी सलाह-मशविरा किया है। शासन स्तर पर इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
तन्वी सुंद्रियाल, एमडी, एमपी एसइडीसी

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