scriptस्कूल के कोर्स में शामिल होगी आदिवासी बोली | The tribal dialect will be included in the school's course | Patrika News

स्कूल के कोर्स में शामिल होगी आदिवासी बोली

locationभोपालPublished: Feb 04, 2020 08:21:58 am

– भीली, कोरकू व गौंडी भाषा का चयन- वर्किंग गु्रप करेगा कार्ययोजना फायनल
 

school exam

education: इंस्पायर अवार्ड के राष्ट्रीय मंच से चूका सीएम का जिला, जानें वजह

भोपाल। कमलनाथ सरकार आदिवासियों की देसी बोली को अब स्कूली कोर्स में शामिल करेगी। दरअसल, कांग्रेस सरकार अपने परंपरागत आदिवासी वोट बैंक को वापस मजबूत करने के इरादे से सत्ता में आने के बाद से ही आदिवासियों पर विशेष फोकस कर रही है।
इसके तहत ही अब स्कूली कोर्स में इनकी ठेठ देसी बोली को शामिल करने की पहल की गई है। इसके लिए वर्किंग ग्रुप भी गठित कर दिए गए हैं, जो स्टेट प्लानिंग मीटिंग करके पूरी कार्ययोजना बनाएंगे।

सरकार ने जिन देसी आदिवासी बोलियों को कोर्स में शामिल करना तय किया है, उनमें भीली, कोरकू व गौंड़ी भाषा शामिल हैं। इन भाषाओं को कोर्स में शामिल करने के लिए स्टेट प्लानिंग मीटिंग चार फरवरी को राज्य शिक्षा केंद्र में होगी, जिसमें इन भाषाओं के अध्ययन और कोर्स में क्रियान्वयन को लेकर कार्ययोजना का खाका तैयार किया जाएगा।
इसमें सहायक किताबें भी तैयारी होंगी, जो इन भाषाओं के अध्यापन में सहायक रहेगी। स्टेट वर्किंग ग्रुप इन सहायक किताबों की सामग्री, भाषा के अध्याय, कहानियां व कैरीकेचर को लेकर भी प्रारूप तैयार करेंगे। सरकार की कोशिश है कि नए शिक्षा सत्र से इन भाषाओं को पढ़ाया जाए, इसके चलते इन तीनों भाषाओं के लिए तीन अलग-अलग सब-कमेटियां भी बनाई जाएगी। यह कमेटियां एक-एक भाषा को लेकर पूरा विस्तृत प्लान देगी।
आदिवासी ब्लॉक प्राथमिकता पर-

यह भी संभावना है कि इन तीनों भाषाओं को पढ़ाने के लिए पहले पॉयलेट प्रोजेक्ट लांच किया जाए। वर्किंग गु्रप ही इस पैटर्न का निर्धारण करेगा। इन तीनों भाषाओं को सूबे के ८९ आदिवासी ब्लॉक में सबसे पहले लागू किया जाएगा। सरकार इन भाषाओं को आदिवासियों के लिए तीसरे भाषा के विकल्प में भी ला सकती है।

किन कक्षाओं में रखेंगे-
तीनों देसी आदिवासी बोली को पहली से दसवीं कक्षा तक रखने का विचार है। इसमें किन कक्षाओं में किस स्तर तक इन भाषाओं के अध्याय रखे जाए, इसकी कार्ययोजना वर्र्किंग गु्रप तैयार करेगा। मुख्य रूप से प्राथमिक कक्षाओं में आदिवासी बोली प्रमुखता से पढ़ाई जाएगी।
इस कार्ययोजना के लिए दो महीने का समय तय किया गया है, ताकि नए शिक्षा सत्र के पूर्व ही कोर्स में शामिल करने की प्रक्रिया पूरी हो जाए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो