scriptकुंआरी माता मरियम के गर्भ से पैदा हुए थे प्रभु ईसा मसीह | The virgin mother Mary was born from the womb of the Lord Jesus Christ | Patrika News

कुंआरी माता मरियम के गर्भ से पैदा हुए थे प्रभु ईसा मसीह

locationभोपालPublished: Dec 20, 2018 07:05:29 pm

Submitted by:

Rohit verma

दुनिया के लोगों को प्यार और इंसानियत की शिक्षा के साथ ही दिया प्रेम और भाईचारे का संदेश

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कुंआरी माता मरियम के गर्भ से पैदा हुए थे प्रभु ईसा मसीह

भोपाल. क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) का जन्म हुआ था। जीसस क्राइस्ट महान व्यक्ति थे, उन्होंने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी।

दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। उन्हें ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। उस समय के शासकों को जीसस का संदेश पसंद नहीं था, इससे उन्होंने उन्हें सूली पर लटका दिया। मान्यता है कि जीसस फिर से जी उठे थे और ईसा मसीह के रूप में जन्म लिया।

उनके आगमन की खुशी में क्रिश्चियन समुदाय क्रिसमस का त्योहार खुशी और उल्लास के साथ मनाता है। इस कारण इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है। प्रभु मसीह का जन्म बैतलहेम नगर में एक गौशाला में हुआ था। उनके पिता बढ़ई थे और माता मरियम थीं। उनका जन्म कुंआरी माता मरियम से हुआ था।

मरियम का विवाह उनके होने वाले पति यूसुफ से तय हो चुका था, लेकिन इससे पूर्व जिब्राइल ईश्वर दूत ने माता मरियम को परमेश्वर पिता का संदेश दिया कि आप कुंआरी ही गर्भवती होंगी और आप से एक पुत्र पैदा होगा, जिसका नाम यीशु होगा। उसके नाम का अर्थ होगा छुड़ाने वाला।

उसके बाद यीशु के सांसारिक पिता यूसुफ को जिब्राइल ईश्वर दूत ने दर्शन देकर कहा कि आप अपनी मंगेतर मरियम को यहां लाने से मत डरो, क्योंकि जो उसके गर्भ में है वह परमेश्वर की आत्मा के द्वारा है। यूसुफ और मरियम के पास मकान का अभाव होने से उन्हें जहां गाय बंधती थी (गौशला) में जगह मिली और उस गौशाले में ही प्रभु मसीह का जन्म हुआ।

 

ईश्वर के दूतों ने इसकी प्रथम सूचना गड़रिया (चरवाहों) को दी। उनसे कहा कि डरो मत मैं तुम्हें बड़ा ही आनंद का शुभ समाचार सुनाता हूं, जो सारे जगत के लिए होगी। उन्होंने चरवाहों को बताया कि आज दाउद नगर में एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है, जो संपूर्ण जगत का उद्धारक होगा। यह समाचार सुनकर गड़रियों ने बैतलहेम नगर में जाकर प्रभु यीशु के दर्शन किए।

वहीं दूसरे स्थान पर ज्योतिषियों ने ज्योतिष शास्त्र पढकऱ यह जानकारी हासिल की कि एक अद्वित्तीय शक्ति ने जगत में जन्म लिया है। ज्योतिषि जब उसकी खोज में निकले तो आसमान में एक चमकदार तारा दिखाई दिया, जिसका अनुसरण करते हुए वे उस गौशाला में पहुंचे और मसीह के दर्शन किए। उन तीन ज्योतिषियों ने प्रभु यीशु को सोना, लोहवान और गंधरस भेंट किया।

सोना जो राजा को चढ़ाया जाता था, लोहवान इस दुनिया की बुराइयों को समाप्त करने का संदेश था और गंधरस सम्मपूर्ण जगत में प्रेम की खुशबू फैलाने का संदेश था। प्रभु यीशु का जन्म सम्मपूर्ण विश्व में एक ही तिथि को मनाया जाता है। -यह बात डॉ. अनिल मार्टिन फादर सेंट जोहन्स चर्च ने बताई।

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