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नदियों का पानी होगा महंगा, तीन से चार गुना बढ़ेंगे दाम

locationभोपालPublished: Nov 18, 2019 09:54:26 pm

Submitted by:

anil chaudhary

– बीस साल से नहीं बढे दाम: सरकार ने साधिकार समिति को भेजा प्रस्ताव

price will increase  of water

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जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल. प्रदेश की नदियों से नगरीय निकाय, किसान और उद्योगों को दिए जाने वाले पानी के दाम बढ़ेंगे। जल संसाधन विभाग ने इसमें तीन से चार गुना बढ़ोतरी का प्रस्ताव साधिकारी समिति को भेज दिया है। समिति से मंजूरी होने के बाद नई दरें लागू हो जाएंगी। बीते दो दशक से इस पानी की दरें नहीं बढ़ी हैं।
सबसे ज्यादा सख्ती उद्योगों को दिए जाने वाले पानी को लेकर की जाएगी। अभी उद्योगों से वसूली बेहद कम हो रही है। जबकि, उद्योग ही पानी का सबसे ज्यादा व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं। इस वृद्धि का सबसे अधिक असर नदियों किनारे बसे उद्योगों पर होगा। वहां आपूर्ति प्वॉइंट पर मीटर लगाया जाएगा। अब आपूर्ति और वसूली तक की पूरी नियमावली तैयार होगी।

– आपूर्ति-वसूली में भारी अंतर
नगरीय निकाय, सिंचाई परियोजनाएं और उद्योगों से जल संसाधन विभाग शुल्क लेता है। बीते सालों में इस शुल्क की वसूली में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अकेले उद्योगों पर करीब 60 करोड़ रुपए बाकी हंै। निकायों से भी राशि की वसूली ठीक नहीं है।

– आपूर्ति लागत व इंतजाम महंगे
प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद समीक्षा की गई, तो पाया गया कि बरसों से पानी की दरें नहीं बढ़ी हैं। वसूली भी कम हो रही है। जबकि, इस दौरान जलापूर्ति से लेकर अन्य इंतजाम तक महंगे हो गए हैं। इसके बावजूद पानी का महत्त्व भी उद्योगों से लेकर निकाय और सिंचाई सेक्टर नहीं समझ पा रहा है। इसके बाद जल संसाधन विभाग ने विभिन्न श्रेणियों में पानी के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव बनाया है। इसमें दो से चार गुना तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।

– पीने के पानी पर भी आगे चलकर होगा असर
नदियों का पानी महंगा होने से कुछ समय बाद पीने के पानी पर भी असर आएगा। नदियों से नगरीय निकायों के दिया जाने वाले पानी की दर भी बढ़ाई जा रही है। यह उद्योगों की अपेक्षा कम है, लेकिन बढ़ोतरी से निकायों की लागत बढ़ेगी। इससे आगे चलकर वे भी पानी का शुल्क बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा निकायों में पानी के नल पर मीटर लगाने की प्रक्रिया भी चल रही है। इससे भी आगे चलकर पानी महंगा होना है।

– अभी ये हैं रेट
वर्तमान में उद्योगों के लिए पानी का बेसिक रेट 5.55 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। खेती के लिए फसल व हेक्टेयर के हिसाब से रेट रहते हैं। यह रेट औसत डेढ़ रुपए हैं। घरेलू पानी के लिए निकायों को औसत 52 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी दिया जाता है।

– बदलेंगे स्लैब
तीनों श्रेणियों में तीन से चार गुना रेट बढ़ाए जा रहे हैं। इसमें हर फसल के लिए अलग रेट रखने की बजाए तीन से चार श्रेणियां रखी हैं। इसमें गेहूं और सोयाबीन मुख्य फसल रहेंगी।

– पांच फीसदी हर साल बढ़ेंगे
अब सरकार पानी के रेट हर साल पांच फीसदी बढ़ाना प्रस्तावित कर रही है। मुख्य रूप से उद्योगों के लिए ही दाम बढ़ेंगे। हालांकि अन्य दरें जिनमें हाइडल पॉवर प्लांट, सरकारी या अद्र्ध-शासकीय प्लांट आदि के लिए भी चरणबद्ध वृद्धि का फॉर्मूला रहेगा।


– ऐसा है घाटे का गणित
अगस्त 2019 की स्थिति में नदियों के पानी का 39788.336 लाख रुपए बाकी थे। जबकि, मौजूदा वित्तीय सत्र की मांग 3669.844 लाख रुपए थी। इस वित्तीय सत्र में 26347 लाख रुपए की वसूली का लक्ष्य था, लेकिन यह 60 फीसदी भी पूरा नहीं हो सका है।

– अभी वसूली ऐसी- (लाख रुपए में)
– उद्योग से 1477.581
– निगम पेयजल- 59.79
– नगर पालिका- 48.998
– नगर परिषद- 14.170
– कृषि सेक्टर- 1263.00


नदियों से पानी देने की दरें बरसों से नहीं बढ़ाई गई हैं। इतने सालों में काफी स्थिति बदली है। अब हम इसकी दरें बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
– गोपाल रेड्डी, एसीएस, जल संसाधन विभाग

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