छाए बादल, बिजली चमकी, बौछारेंशहर में दोपहर बाद तेज हवा चली। इस दौरान हवा की अधिकतम रफ्तार 30 से 50 किमी तक पहुंच गई थी। तेज हवाओं का दौर रात्रि तक चलता रहा। हवा के कारण तापमान में भी गिरावट आई और लोगों को तेज गर्मी से राहत मिली। शाम को बादल, बौछारों और हवा के कारण weather changed मौसम सुहाना हो गया और लोगों ने मौसम का खूब लुफ्त उठाया।आगे क्यामौसम विज्ञानी अशफाक हुसैन का कहना है कि अगले दो तीन दिन weather इसी तरह रहेगा। इस समय एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है, साथ ही एक ट्रफ बिहार से छत्तीसगढ़ तक जा रही है। इसके चलते नमी आ रही है और बादल, गरज चमक की स्थिति बन रही है। अगले दो तीन दिन मौसम इसी तरह रहेगा। 20 के बाद तापमान में बढ़ोतरी होगी, लेकिन 23 मई से फिर एक सिस्टम बन रहा है।मानसून आने में इस बार हो सकती है देरीमई में लगातार मौसम का मिजाज नरम गरम बना हुआ है। ऐसे में मानसून के आने में देरी हो सकती है। फिलहाल दिल्ली ने केरल में 4 जून तक मानसून के दस्तक देने की संभावना जताई है। अब तक जो ट्रेंड रहा हैं उसमें केरल में मानसून आने के लगभग 20 दिन बाद प्रदेश में मानसून दस्तक देता है। ऐसे में प्रदेश में मानसून की दस्तक 20 मई के बाद ही हो सकती है, इसी प्रकार भोपाल में भी मानसून की दस्तक 24 जून के बाद हो सकती है। प्रदेश में मानसून आने की तारीख 15 जून और भोपाल में 18 जून है।[typography_font:14pt;” >भोपाल. तेज गर्मी के छोटे से दौर के बाद एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया है। दोपहर 4 बजे के बाद शहर में धूल भरी आंधी चली, इससे शहर में जगह-जगह धूल के गुबार नजर आए। शहर के अनेक हिस्सों में बौछारें पड़ी साथ ही एमपी नगर सहित कुछ क्षेत्र में कुछ समय चने के आकार के ओले भी दिखाई दिए। दोपहर बाद मौसम का मिजाज बदलते ही तीन घंटे में तापमान 9 डिग्री से अधिक गिर गया और लोगों को गर्मी से राहत मिली।जून में जारी रह सकता है गर्मी का दौरमौसम विशेषज्ञ एके नायक का कहना है कि इस बार दक्षिण पश्चिम मानसून में थोड़ी देरी हो सकती है। देश के मध्य और उत्तरी भागों में इस वर्ष जून के अंत तक गर्म मौसम जारी रहेगा। एक शक्तिशाली चक्रवात ‘फैबियन’ दक्षिण हिंद महासागर के भूमध्यरेखीय अक्षांशों में, दक्षिणी प्रायद्वीप से आगे बढ़ रहा है। हरिकेन-स्ट्रेंथ वेदर सिस्टम को क्षेत्र को साफ करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा। यह भयानक तूफान विषुवतीय रेखा के पार प्रवाह और मानसून धारा के निर्माण को प्रतिबंधित कर रहा है। इसके अलावा, अरब सागर वायुमंडल के निचले स्तरों में केंद्रीय भागों पर एक एंटीसाइक्लोन की मेजबानी करना जारी रखता है। यह अरब सागर से पश्चिमी तट तक मानसून प्रवाह के सुचारू प्रवाह के लिए एक बाधा के रूप में कार्य करता है। मानसून की शुरुआत के लिए आवश्यक मानी जाने वाली पश्चिमी हवाओं के विशिष्ट निम्न-स्तरीय जेट (एलएलजे) स्थापित करने के कोई संकेत नहीं हैं। https://www.dailymotion.com/embed/video/x8l0n3l//?feature=oembed