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एक वचन जिसने कर दिया पहाड़ी को हराभरा, चट्टानों पर भी उगे पौधे

locationभोपालPublished: Aug 27, 2018 08:55:40 am

विवाह के दौरान लिया वचन हरियाली को बढ़ावा देने में मददगार बन रहा है। पौधे लगाने और इनकी रक्षा के लिए पति पत्नी की भागीदारी बढ़ाने जब इसका सहारा लिया गया तो बड़ी संख्या में लोग आगे आए है। स्थिति ये बनी कि लहारपुर क्षेत्र के आसपास का क्षेत्र हरा भरा हो गया। तीन साल में करीब 1500 पौधे यहां लगाए गए। खास बात ये रही कि ये सभी दंपतियों ने मिलकर रोपे हैं।

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एक वचन जिसने कर दिया पहाड़ी को हराभरा, चट्टानों पर भी उगे पौधे

भोपाल. वन विभाग की दंपति पौधरोपिणी के तहत योजना बनी है। पौधरोपण को प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना को अभिनव प्रयोग माना जा रहा है। इस वर्ष भी दंपतियों ने पौधरोपण कर फॉरेस्ट कवर में महत्वपूर्ण इजाफा किया है। भोपाल के पूर्व डीएफओ डॉ. एसपी तिवारी ने वर्ष 2016 में दंपति वन महोत्सव के नाम से एक योजना शुरू की थी।
इस योजना के पीछे एक पुनीत वचन को जोड़ा गया। विवाह में जिस तरह एक वचन यह भी होता है, जिसमें पत्नी अपने होने वाले पति से कहती है कि जब भी आप तालाब, कुआं खोदोगे, वृक्ष लगाओगे, कोई धार्मिक कार्य करोगे तो उसमें मुझे साथ रखोगे। इसी पुनीत भावना को लेकर पौधरोपण में पति-पत्नी हर वर्ष साथ-साथ पौधे लगाते हैं।

एसडीओ एसएस भदौरिया ने बताया कि वर्ष 2016 में दंपति वन महोत्सव के तहत 500 पौधे लगाए गए। इसके बाद वर्ष 2017 में 400 पौधे लगाए गए और 12 अगस्त 2018 को आयोजित दंपति वन महोत्सव में भी 400 से अधिक पौधे लगाए गए। वन महोत्सव 2018 के तहत वन, योजना एवं सांख्यिकी मंत्री गौरीशंकर शेजवार, डॉ. किरण शेजवार, एसीएस वन केके सिंह, पीसीसीएफ एनके सपरा समेत कई दंपति मौजूद थे।
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गार्डन में एक लाख से अधिक पेड़/पौधे

आधिकारिक तौर पर बताया गया कि लहारपुर इकोलॉजिकल गार्डन में एक लाख से अधिक पेड़/पौधे वर्तमान में लगे हुए हैं। इनकी वजह से यह एक अच्छे फॉरेस्ट के रूप में डवलप हो गया है। नगर वन योजना के तहत यह महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।वन विभाग करता देखभालदंपति वन महोत्सव के तहत रोपे गए पौधों की देखभाल वन विभाग करता है। अधिकारियों द्वारा लगाए गए पौधों की बेहतर देखरेख के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है। इस योजना के तहत लगाए गए अधिकांश पौधे जीवित हैं और अच्छी ग्रोथ कर रहे हैं।
इन प्रजातियों के पौधे अधिक

लहारपुर इकोलॉजिकल गार्डन में आंवला, हर्र व बहेड़ा के वृक्षों की तादात सबसे अधिक है। इसके बाद नीम, बांस, बरगद, पीपल, महुआ, इमली, सागौन, सप्तपर्णी, करंज आदि के पौधे लगाए गए हैं।
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