जिलास्तर पर मामला टलने के बाद अब पॉलिसी का मसौदा तैयार होने के बाद नई पॉलिसी पर शासन स्तर पर दावा आपत्ति सुने जाएंगे और लोगों के सुझाव के आधार पर इसे लागू कराया जाएगा। असमंजस की स्थिति एेसे समय पर बन रही है, जब नगरीय प्रशासन विभाग इंदौर के मेहता एसोसिएट से टीओडी पॉलिसी तैयार करवाने के लिए एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका है और जल्द ही मेट्रो-स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम शुरू होने हैं।
मेट्रो प्रोजेक्ट
6962.92 करोड़ रुपए के पहले चरण के लिए दो रूट तैयार करने की कार्रवाई शुरू होने में विलंब होगा। जमीनें आरक्षित नहीं होने से अधिग्रहण की कार्रवाई के लिए अलग से कैबिनेट में प्रस्ताव पास कराने पड़ेंगे। पहले चरण में बनने वाले 30 स्टेशन और 27 किमी लंबे ट्रेक के लिए भी जमीन की उपलब्धता में दिक्कत आएगी।
स्मार्ट सिटी
प्रोजेक्ट के लिए लैंडयूज बदलना सबसे बड़ी जरूरत है। नॉर्थ टीटी नगर में जिस स्थान पर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है वो अभी रेंसीडेंशियल हब के रूप में इस्तेमाल होता है। 3432 करोड़ रुपए की लागत से टीटी नगर की 333 एकड़ जमीन पर एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी, रेंसीडेंस और कमर्शियल हाउसिंग प्रोजेक्ट लगाए जाने हैं।
ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट
मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन : प्रस्तावित क्षेत्र में मेट्रो रेल, बीआरटीएस, प्राइवेट कैब, ऑटो एक ही स्थान में मिलेंगे।
फस्र्ट एंड लास्ट कनेक्टिविटी : इन सभी यातायात साधनों को घर, दुकान या संस्थान से मेट्रो स्टेशन तक कनेक्टिीविटी देने के चौड़ी सड़कें बनेंगी।
मिक्स लैंड यूज : एक ही स्थान पर बस, ट्रेन स्टॉपेज, घर, बाजार और दफ्तर के लिए मिक्स लैंड यूज का प्रावधान किया जा सकेगा।
लैंड वैल्यू कैप्चर : जमीन की उपयोगिता का पूरा इस्तेमाल होगा, ताकि लोगों को प्रोजेक्ट एरिया के आसपास ही सभी सुविधाएं मिलें।
हाउसिंग डायवर्सिटी : इन क्षेत्रों में हर वर्ग को सहवासी सुविधा दी जाएगी। इसके लिए हाईराइज, डूप्लेक्स सहित अफॉर्डेबल बिल्डिंग प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए हाउसिंग डायवर्सिटी एरिया तय किए जाएंगे।
मेट्रो रेल-स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए लाई जा रही टीओडी पॉलिसी संशोधित मसौदे का हिस्सा नहीं रहेगी। इसके लिए अलग से प्रावधान और नियम तैयार करने होंगे और इन पर दावा आपत्ति की सुनवाई शासन स्तर पर की जाएगी।
– एसके मुदगल, संयुक्त संचालक, टीएंडसीपी