मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था जुटाने के लिए लग जाता हूं
जब मैं फुटबॉल खेलता था जब एक बात सीखी थी की कोई भी काम करने के लिए अनुशासन अहम है। इस समय देश को ईमानदार और जुनूनी लोगों को जरूरत है, तब काम करने में और मजा आ रहा है। मैं लोगों को समझा रहा हूं कि घर से बाहर नहीं निकले। इसके अलावा जब भी अपने काम से फ्री होता हूं तो मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था जुटाने के लिए लग जाता हूं।
अस्मत उल्ला, प्रधान आरक्षक, पुलिस, पूर्व संतोष ट्रॉफी फुटबॉल खिलाड़ी
लोगों को मास्क उपलब्ध कराए जा रहे
लोग अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक नहीं हैं। कई जगह आज भी लोग बिना किसी मास्क और रूमाल के अपने घर से बाहर निकल रहे हैं। लोगों को मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही सुबह-८ बजे से रात-११ बजे तक लोगों को समझाईश दे रहे हैं कि वे अपना और परिवारवालों को ख्याल रखें। जब मैं ड्यूटी के बाद घर जाता हूं तो अपने कपड़े और जरूरत का सामान अलग ही रखता हंू। परिवार से कहा भी है कि वे मेरे जरूरत के सामन से दूरी बनाकर कर रखें।
दीपक पाटिल, आरआई, पुलिस लाइन और सदस्य, पूर्व विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम
सबसे बड़ी समस्या भोजन की
इस संकट की घड़ी में लोगों के बीच सबसे बड़ी समस्या भोजन की होती है। मजदूर वर्ग के लोगों को भोजन सप्लाई कराना बड़ी चुनौती है। इसलिए मैं खुद ही शहर के शासकीय दुकानों का निरीक्षण कर रहा हूं, जिससे लोगों को सही समय और उचित दाम पर सप्लाई की जा सके। इस काम को करने में मुझे खुशी भी हो रही है। सुबह-7 बजे से रात-12 बजे तक ऑन फिल्ड काम कर रहा हूं। इस दौरान परिवारवालों के साथ खाना भी नहीं खा पा रहा हूं। मैंने कई दिनों से अपने बच्चों को भी नहीं देखा है।
लखवीर सिंह गिल, खाद्य निरीक्षक, पूर्व कप्तान मप्र सिविल सर्विसेज क्रिकेट टीम
परिवार के संपर्क में नहीं आता
मैं नगर की वाहन व्यवस्था देख रहा हूं। दिनभर में सैकड़ों लोगों से सामना होता है। शुरुआत में मुझे लोगों को समझाने में परेशानी हो रही थी, लेकिन अब वे संक्रमण के बारे में जानने लगे हैं, और व्यवस्थाएं सुधारने में मदद कर रहे हैं। मैं सुबह-7 बजे से रात-10 तक ड्यूटी कर रहा हूं। घर जाने के बाद परिवार के संपर्क में नहीं आता। घर के बाहर वाले कमरे में सो जाता हूं। खुशी इस बात की है कि मैं देश के लिए अपनी सेवाएं दे पा रहा हूं।
कमल कुशवाहा, थ्रोबॉल प्लेयर, आरटीओ में कार्यरत