गरीबों को पिला रहे शुद्ध पानी
समाजसेवी जितेंद्र परमार पिछले 15 सालों से गरीब व झुग्गी - झोपड़ी में रह रहे लोगों के लिए सेवा का कार्य कर रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य गरीब लोगों के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था करना है, ये काम उन्होंने तब शुरू किया जब उन्होंने देखा कि लोग पानी के लिए घंटों तक परेशान होते हैं, फिर भी उन्हें पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि लोगों को जल संरक्षण को लेकर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम करना चाहिए। ताकि घर बनाने या पेड़-पौधों में पानी देने के लिए उसका प्रयोग कर सकें।
7 साल से बचा रहे बेजुबानों की जान
प्रकृति और पर्यावरण में अहम भूमिका निभाने वाले बेजुबान जानवरों की जान बचाने में अयान खान कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, ये काम वे पिछले 7 सालों से कर रहे हैं, ये काम करने से उन्हें काफी खुशी मिलती है। वे आमजन को भी प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं। उनका मानना हैं कि अगर हम बच्चों को प्रेरित करें, तो इसका फायदा बहुत अधिक मिलता है, क्योंकि वे जल्दी सीख भी जाते हैं और पर्यावरण को बनाए रखने में अहम भूमिका भी निभाते हैं।
साइकिलिंग को बना लिया जीवन
नंदन नरोला बीते 4 साल से सस्टेनेबल जीवन यापन कर रहे हैं। अपनी दिनचर्या में रात में साइकिलिंग, रनिंग, रात में समय से खाना खाना, टाइम से सोने जैसी आदतों को अपनी लाइफ में शामिल कर रहे हैं। साथ ही वह इस काम के लिए अन्य लोगों को भी प्ररित करते हैं। वह बाजारों की सब्जियों को न खाकर घर में उगाई हुई सब्जियों को खाना पसंद करते हैं। इसके साथ साथ वह उन चीजों का बिल्कुल प्रयोग नहीं करते जो रिसाइकिल नहीं होती है। इस पर्यावरण दिवस पर वह लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि पर्यावरण सुरक्षा में जितना हो सके अपना योगदान दें। इसके अलावा अपने आस पास गंदगी बिल्कुल न होने दें।
25 साल से चला रहे मिशन पंख
धर्मेंद्र शाह पिछले 25 सालों से पक्षियों को खुले आसमान में पंख फैलाने का काम करते आ रहे हैं। जो उन्हें अपने मां-बाप से विरासत में मिला है। जिसके बाद इस काम को धर्मेंद्र शाह ने "मिशन पंख" का नाम दिया है। इस मिशन के तहत अभी तक वो 20 हजार से ज्यादा तोताओं को आजाद कर चुके हैं। उनके इस मिशन से करीब 10 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं।
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मीता फलों के लिए लगा रही पौधेमीता वाधवा अपने मां-बाप की प्रेरणा से बचपन से ही प्लांटेशन का काम करती आ रही है। उन्होंने बताया कि बचपन में हम सिर्फ फलों वाले पेड़ पौधों को लगाते थे। ताकि बच्चों को ताजा फल खाने को मिल सकें, लेकिन फिर मैं एक संस्था से जुड़ी और पर्यावरण को लेकर प्लांटेशन का काम किया। वह अबतक अन गिनत संख्या में पेड़-पौधे लगा चुकी हैं और इसके लिए उन्हें पर्यावरण दिवस की जरूरत नहीं पड़ती, वो कहती हैं कि उनके लिए हर दिन खास होता है। उन्होंने बताया कि ड्रीम भोपाल और ग्रीन भोपाल के तहत सोमवार से 100 दिन के अंदर 3 हजार पेड़ लगाए जाएंगे। इस मौके पर मीता वाधवा लोगों को संदेश देना चाहती हैं कि हम सभी को एक दिन नहीं बल्कि पूरे साल प्लांटेशन करना चाहिए।