भोपाल

शिक्षकों ने थिएटर करने के लिए सीखी बुंदेली, पढ़ाई छोड़ की ड्रामा की प्रैक्टिस

क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में नाटक ‘चरनदास चोर’ का मंचन

भोपालOct 22, 2019 / 08:21 am

hitesh sharma

शिक्षकों ने थिएटर करने के लिए सीखी बुंदेली, पढ़ाई छोड़ की ड्रामा की प्रैक्टिस

भोपाल। क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान से बीए बीएड की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स ने सोमवार को नाटक ‘चरणदास चोर’ में अभिनय किया। इन स्टूडेंट्स ने दस दिवसीय वर्कशॉप में एक्टिंग सीखी। खास बात यह है कि यह सभी स्टूडेंट्स पहली बार थिएटर से रू-ब-रू हुए हैं। नाटक में अभिनय करने के लिए सभी ने बुंदेली भाषा सीखी। डायरेक्टर का कहना है कि हबीब तनवीर का मूल प्ले छत्तीसगढ़ी भाषा में है। हमने इसका बुंदेली भाषा में मंचन किया है।

नाटक में बा आंधी सो दौड़े, घोड़ा पीछे छोड़े, मैं रमता जोगी, बहता पानी, सुमेर ले गुरु की बानी, गुरु जी एक परण का हम चार परण ले है, सच बोलो, सच की है पतवार तेरे हाथ तो नैया तर जाएगी… जैसे 16 गानें जोड़े गए। नाटक का निर्देशन सौरभ अनंत ने किया है, वहीं संगीत व गीत हेमंत देवलेकर ने दिया। एक घंटे के इस नाटक में 25 कलाकारों ने अभिनय किया है। नाटक में चोर का किरदार राशि शर्मा ने किया है।

सच बोलने पर चरणदास को मिलती है मौत की सजा

नाटक की कहानी चरणदास की है। जो एक गांव से सोने की थाल चोरी कर भाग जाता है। पुलिस से बचने के लिए वह एक साधू को सवा रुपए देकर दीक्षा ले लेता है। गुरु उससे चोरी छोडऩे को कहते हैं, लेकिन वह नहीं मानता है। वह गुरु के सामने प्रतिज्ञा लेता है कि वह सोने की थाली में नहीं खाएगा। रानी से शादी नहीं करेगा, किसी देश का राजा नहीं बनेगा और हाथी-घोड़े पर बैठकर जुलुस में शामिल नहीं होगा।

गुरु उसे पांचवीं प्रतिज्ञा दिलाते हैं कि वह हमेशा सच बोलेगा। इसके बाद उसका जीवन बदल जाता है। एक दिन वह एक राज्य का रोजकोष लुटने जाता है, इसके बाद उसके सामने ऐसी परिस्थितियां बनती जाती है जो उसे प्रतिज्ञा तोडऩे पर विविश करती है। राज्य की रानी उसे शादी का प्रस्ताव देकर झूठ बोलने को कहती है, लेकिन चरणदास इंकार कर देता है। रानी गुस्से में उसे मौत की सजा दे देती है।

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