जानकारों के अनुसार आज हो रहे यह उपचुनाव संभवतः यह मध्यप्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव है, क्योंकि एक साथ 28 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। 28 सीटों में से 22 ऐसे दिग्गज नेताओं का भविष्य टिका हुआ जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी साख दांव पर लग गई है। मध्यप्रदेश में उपचुनाव की जरूरत कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और 3 विधायकों के निधन से हुई।
यूं तो भांडेर विधानसभा सीट मध्यप्रदेश की राजनीति में कभी अत्यंत महत्वपूर्ण सीटों की श्रेणी में नहीं गिनी गई, लेकिन इस बार यानि 2020 के उपचुनाव में क्षेत्र की सियासत में दमदार पैठ रखने वाले दिग्गजों के चुनाव मैदान में उतरने से यह सीट हाईप्रोफाइल हो गई है।
इन तीनों दलों को इस चुनाव में भितराघात का डर सता रहा है। जिसके चलते इन प्रत्याशियों का ज्यादा से ज्यादा समय वोट मांगने की बजाय अपने ही दलों के असंतुष्ट नेताओं को मनाने में खर्च हुआ है।
कांग्रेस के अन्नू भारती व कांग्रेस अजा विभाग के प्रदेश संयोजक प्रभुदयाल जौहरे के नाम भी उभरे थे। इन दोनों ने पिछले चुनाव में भी टिकट मांगा था, लेकिन सिंधिया इनके नाम पर राजी नहीं थे, वहीं पूर्व मंडी अध्यक्ष भगवानदास पटवा भी कांग्रेस से टिकट चाहते थे। अन्नू भाजपा में चले गए, जिसका सबसे बड़ झटका बसपा को लगा। वहीं अन्य को पाटी में बनाए रखने के लिए कांग्रेस को मशक्कत करनी पड़ी।
दतिया जिला मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण भांडेर विकास के मामले में काफी पिछड़ा हआ है, ऐसे में अंचल का पिछड़ापन ही इस बार चुनावी मुद्दा बना है। तोहमत लगाने से दूरी…
वहीं इस बार खास बात ये है कि चूंकि तीनों ही प्रत्याशी इस बार दलबदल कर चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में कोई भी उम्मीदवार परस्पर दलबदल की तोहमत लगाने से बच रहा है।