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madhya pradesh by-election 2020 : उपचुनाव से ठीक पहले MP की इस सीट पर तीनों दलों को सता रहा खतरा, जानिये क्यों?

locationभोपालPublished: Nov 03, 2020 10:19:20 am

मध्यप्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव! हुआ शुरु…

This Assembly seat is now important for all parties in mp

MP by-election 2020 : Dangerous situation for all party candidates

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर आज 3 नवंबर 2020,मंगलवार को उपचुनाव होने जा रहा है। इन्हीं में से एक सीट भांडेर विधानसभा की भी है। यह सीट दतिया जिले में आती है। यहां वोटिंग शुरु हो गई है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2018 के चुनाव से पहले पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर बीजेपी को ही जीत हासिल हुई थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस ने यहां जीत का परचम लहराया।

जानकारों के अनुसार आज हो रहे यह उपचुनाव संभवतः यह मध्यप्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव है, क्योंकि एक साथ 28 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। 28 सीटों में से 22 ऐसे दिग्गज नेताओं का भविष्य टिका हुआ जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी साख दांव पर लग गई है। मध्यप्रदेश में उपचुनाव की जरूरत कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और 3 विधायकों के निधन से हुई।

यूं तो भांडेर विधानसभा सीट मध्यप्रदेश की राजनीति में कभी अत्यंत महत्वपूर्ण सीटों की श्रेणी में नहीं गिनी गई, लेकिन इस बार यानि 2020 के उपचुनाव में क्षेत्र की सियासत में दमदार पैठ रखने वाले दिग्गजों के चुनाव मैदान में उतरने से यह सीट हाईप्रोफाइल हो गई है।

एक ओर यहां बसपा के प्रदेश में संस्थापक माने जाने वाली इंजी. फूल सिंह बरैया कांग्रेस के टिकट से मैदान में हैं। वहीं दूसरी ओर कभी दिग्विजय कैबिनेट में नंबद 2 की हैसियत रखने वाले प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री महेंद्र बौद्ध अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस को अलविदा कहकर इस बार बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। वहीं इस बार इन दोनों दिग्गजों का मुकाबला निवर्तमान विधायक रक्षा संतराम सरोनियां से है, जो कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
किस बात का है खतरा…
इन तीनों दलों को इस चुनाव में भितराघात का डर सता रहा है। जिसके चलते इन प्रत्याशियों का ज्यादा से ज्यादा समय वोट मांगने की बजाय अपने ही दलों के असंतुष्ट नेताओं को मनाने में खर्च हुआ है।
महेंद्र बौद्ध जहां मायावती की आमसभा कराने के प्रयासों में जुटे रहे, वहीं भाजपा प्रत्याशी रक्षा के लिए सिंधिया व शिवराज दोने ही बड़ी चुनावी सभाएं ले चुके हैं। वहीं कांग्रेस के बरैया के लिए कमलनाथ व अरुण यादव की जनसभाएं हो चुकी हैं।
नाराजगी बनी आफत…
कांग्रेस के अन्नू भारती व कांग्रेस अजा विभाग के प्रदेश संयोजक प्रभुदयाल जौहरे के नाम भी उभरे थे। इन दोनों ने पिछले चुनाव में भी टिकट मांगा था, लेकिन सिंधिया इनके नाम पर राजी नहीं थे, वहीं पूर्व मंडी अध्यक्ष भगवानदास पटवा भी कांग्रेस से टिकट चाहते थे। अन्नू भाजपा में चले गए, जिसका सबसे बड़ झटका बसपा को लगा। वहीं अन्य को पाटी में बनाए रखने के लिए कांग्रेस को मशक्कत करनी पड़ी।
ये है मुद्दा…
दतिया जिला मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण भांडेर विकास के मामले में काफी पिछड़ा हआ है, ऐसे में अंचल का पिछड़ापन ही इस बार चुनावी मुद्दा बना है।

तोहमत लगाने से दूरी…
वहीं इस बार खास बात ये है कि चूंकि तीनों ही प्रत्याशी इस बार दलबदल कर चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में कोई भी उम्मीदवार परस्पर दलबदल की तोहमत लगाने से बच रहा है।

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