इस एम्पोरियम से पहले भी जेल में बने उत्पाद मसलन सजावटी सामान, लकड़ी के शिल्प समेत डोरमेट, हैंडलूम बेचे जाते थे, पर कोरोना के चलते इसे बंद कर दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, कान्हा एम्पोरियम में मुख्यत: सागर केंद्रीय जेल में तैयार होने वाली चंदेरी और महेश्वरी साड़ियों को रखा जाएगा।
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प्रदेश की अन्य जेलों में कैदियों के उत्पाद भी बिक्री के लिए रखे जाएंगे। कैंटीन शुरू होगी, जिसे वेलफेयर समिति संचालित करेगी। बता दें, जेलों में कैदी चंदेरी, महेश्वरी साड़ी के साथ भोपाली बटुआ, चादर, दरी, पेंटिंग, मूर्तियां, फर्नीचर, राखी, सजावटी सामान, हैंडीक्रॉफ्ट, कंबल सहित अन्य सामान बनाते हैं।
कैदियों को रोजगार मुहैया कराने और उन्हें दक्ष बनाने के उद्देश्य से सागर में विद्यासागर महाराज सेवा समिति की ओर से सेटअप लगाया गया है। यहां कैदियों को साड़ी बनाने की ट्रेनिंग देने के साथ कच्चा माल दिया जाता है। यहां कपड़ा तैयार करने के लिए सौ से अधिक हथकरघे हैं। इस सेटअप को तैयार करने में एक करोड़ से अधिक राशि खर्च हुई है। यहां 2018 से महेश्वर और चंदेरी साड़ियां बनाई जा रही हैं।
एक मीटर कपड़े का मेहनताना 50 रुपए
सागर जेल में साड़ियां बनाने वाले कैदियों को प्रति मीटर 50 रुपए का मेहनताना मिलता है। प्रशिक्षित कैदी एक दिन में पांच से छह मीटर या इससे अधिक कपड़ा तैयार करते हैं। इससे उन्हें 300 रुपए से अधिक का मेहनताना मिलता है। ये व्यवस्था चंदेरी और महेश्वर साड़ियों को लेकर है। तैयार माल समिति आउटलेट्स पर उपलब्ध कराती है।