ऐसे बनाते हैं रेट बढ़ाने का आधार
आपको बतादें कि शहर में ही ऐसी सैंकड़ों अवैध कॉलोनी हैं जिनमें लोगों के पास अपने विद्युत कनेक्शन नहीं हैं, सीवर लाइन, सड़क तक के लिए व्यवस्था नहीं है। लेकिन कलेक्टर गाइडलाइन में उनके रेट खोले हुए हैं। रजिस्ट्री उसी रेट से हो रही है। जैसे ही ये कॉलोनी रेरा एप्रूव्ड, नगर निगम की अनुमतियां लेती हैं तो इनमें लोन के चलते अधिक दरों पर रजिस्ट्री होने लगती है, इसी को विकसित बताकर रेट बढ़ाना प्रस्तावित कर देते हैं।
माफिया अभियान के बाद हुईं वैध
नगर निगम और पंचायतों में करीब 130 कॉलोनियो के प्रकरण बनाकर अलग-अलग राजस्व कोर्ट में प्रस्तुत किए गए। इसमें से करीब 75 में वसूली हो चुकी है। 25 के लगभग में बिल्डरों की तरफ से भरोसा दिलाया है कि वे डायवर्सन शुल्क व अन्य शुल्क जमा करेंगे। कलेक्टर गाइडलाइन में इनको भी विकसित बताकर रेट बढ़ाए जा रहे हैं। इसमें 5 से 10 फीसदी की बढ़त बताई जा रही है। जो बिल्डर डायवर्शन शुल्क जमा नहीं कर पा रहे उनके खिलाफ एफआईआर कराना शुरू करा दिया है।
यहां की जा रही 5 से 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी
- होशंगाबाद रोड की कॉलोनी
- कोलार रोड की कॉलोनी
- अयोध्या बायपास की कॉलोनी
- चौपड़ा कला
- सेवनिया ओमकारा
- इमलिया
- कान्हासैया
- बरखेड़ानाथू
- मुबारकपुर
- सिकंदराबाद
- मुगालिया छाप
- नीलबढ़
- बैरसिया
- सूखी सेवनिया
बाजार का प्रस्ताव भी किया शामिल
शहर के प्रमुख बाजारों न्यू मार्केट, हमीदिया रोड, 10 नंबर, 6 नंबर, होशंगाबाद रोड, बागसेवनिया, पीर गेट, शहजहांनाबाद, पुराने व नए शहर के बाजारों में आवासीय और व्यावसायिक का अंतर खत्म करने का प्रस्ताव भी इस बार गाइडलाइन में शामिल किया है।