scriptडिफरेंट जोनर की कहानियों के माध्यम से थिएटर के विभिन्न रंगों से कराया रू-ब-रू | Through the different genres of theater through various zodiac tales | Patrika News

डिफरेंट जोनर की कहानियों के माध्यम से थिएटर के विभिन्न रंगों से कराया रू-ब-रू

locationभोपालPublished: Jun 24, 2019 12:35:04 pm

Submitted by:

hitesh sharma

रवीन्द्र भवन में नाटक ‘छोटी-बड़ी बातें-4’ का मंचन

drama in ravindra bhawan

डिफरेंट जोनर की कहानियों के माध्यम से थिएटर के विभिन्न रंगों से कराया रू-ब-रू

भोपाल। भोपाल थिएटर्स की ओर से रविवार को रवीन्द्र भवन में नाटक ‘छोटी-बड़ी बातें-4’ का मंचन किया गया। इसमें पांच अलग-अलग कहानियों का कोलाज पेश किया गया। इनका निर्देशन राजीव वर्मा और दिनेश नायर ने किया है।

कहानी ‘ठकुराइन’ की लेखिका प्रतिभा टिक्कू शर्मा, ‘कुछ तो कहिये’ की लेखिका रजिया सज्जाद जहीर तथा ‘तुम और वो’ के लेखक विजय तेंदुलकर हैं। इन तीनों कहानियों का निर्देशन राजीव वर्मा ने किया। वहीं, ‘दुशाला’ और ‘यस सर’ की लेखिका रजिया सज्जाद जहीर हैं। इन दोनों कहानियों पर नाटक का निर्देशन रंग माध्यम के दिनेश नायर ने किया। सभी कहानियां अलग-अलग कालखंड और मूड की है।

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ठकुराइन
यह गांव की ऐसी ठकुराइन की असल जिंदगी से प्रेरित है, जिसके पति ने दूसरी शादी कर ली। सौतन उसे पसंद नहीं करती। घर में भी कोई उसकी इज्जत नहीं करता। वह स्वाभिमान के लिए घर छोड़ देती है। वह लोगों के घरों में काम कर बच्चे को पालती है। अचानक उसकी मौत हो जाती है, तब लोगों को पता चलता है कि वह ठकुराइन थी।
कुछ तो कहिये
यह कहानी हर आम व्यक्ति की है। जो शादी से पहले प्रेम करता और बाद में दांपत्य जीवन नीरस सा हो जाता है। पत्नी चाहती है कि पति उसे नौकरानी नहीं, बल्कि प्रेमिका समझे। पति जिंदगी की उधेड़बुन में फंसा रहता है। इस कारण रिश्तों में खटास आ जाती है। अंत में पति को एहसास होता है कि वह कितनी बड़ी गलती कर रहा था।
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तुम और वो
यह लालसाओं से भरे इंसान की कहानी है। वह अपनी सुंदर पत्नी को भी पसंद नहीं करता। हमेशा दूसरी महिलाओं को पत्नी के रूप में इमेजिशन करता है। कल्पना लोक में उसकी शादी दूसरी महिला से हो जाती है। दूसरी पत्नी उससे अच्छा व्यवहार नहीं करती। तब उसे पत्नी को धोखा देने का अहसास होता है।
दुशाला
1930 में वाजिद अली शाह बेगम हजरत महल को दुशाला भेंट करते हैं। अंग्रेज हमला कर दुशाला भी लूट लेते हैं। वह इसे एक नवाब को तोहफे के रूप में दे देते हैं। नवाब की बेगम यह कहते हुए मर जाती हंै कि यह दुशाला वफा की निशानी है। मैं इसे अपने से अलग नहीं कर सकती। बेगम के मरने पर उसी के साथ इसे दफन कर दिया जाता है।
यस सर
पोस्टमैन एक महिला के घर डाक देने आता है। महिला को उसकी मीठीं बातों से लगाव है, लेकिन तबादले में फौज से रिटायर पोस्टमैन आता है, तो उसके सख्त व्यवहार से तंग आकर महिला उसकी शिकायत कर देती है। जब कफ्र्यू लगता है, तब पोस्टमैन ही उसे आर्थिक तंगी से बचाने के लिए मनीऑर्डर पहुंचाता है।
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