सॉफ्टवेयर से बुकिंग
इसके पहले हुए मामले में रेलवे सुरक्षा बल ने आईआरसीटीसी की ओर से जारी ई-टिकट एजेंट से लाइसेंस भी बरामद किया था, अधिकृत आईडी के अलावा निजी आईडी से यात्रियों के टिकट बुक किया जाता था। वह सॉफ्टवेयर का उपयोग कर अधिक संख्या में टिकट बुक करता था। छापे के दौरान बल ने उस सॉफ्टवेयर की जानकारी एकत्रित हुई थी, वह एक साथ चार-पांच फॉर्म में यात्रियों की जानकारी फीड कर पहले से टिकट सुरक्षित कर लेता था। बुकिंग खुलते ही एक क्लिक से टिकट बन जाता था।
आईआरसीटीसी से मांगी गई जानकारी
विजलेंस की टीम ने गिरफ्तारी के बाद आरोपी का बयान दर्ज किया। आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे केटरिंग एण्ड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड) से छह महीने की डिटेल मांगी। डिटेल के आधार पर मामला दर्ज किया जाएगा। हालांकि जानकारों का कहना है ऐसे मामलों में रेलवे विभाग का भी हाथ रहता है। जिसके आधार पर ये रेलवे टिकट कंफर्म करने का काम करते है।
लाखों का होता है नुकसान
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे हर दिन रेल टिकट मामले में लाखों का नुकसान होता है। रेल के ईटिकट व्यवस्था के बाद भी रेलवे में ऐसे वारदात हो रहे है। जिनमें दलाल यात्रियों से मनमाना रेट वसूल करता है। यात्री टिकट कंफर्म के नाम पर टिकट का मूल्य चुकाने को तैयार हो जाते है। कई बार यात्रियों का टिकट कंफर्म नहीं होता। जिससे यात्री को परेशानी होती है।