एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच में बुधवार को डॉ सुभाष सी पांडे और राशिद नूर खान द्वारा लगाए गए केरवा-कलियासोत संबंधी प्रकरणों की सुनवाई हुई। इस दौरान समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति में डीएफओ आलोक पाठक, एमपीपीसीबी के रीजनल अधिकारी ब्रजेश शर्मा, एप्को के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ आरके जैन और जल संसाधन विभाग के एसडीओ अविनाश साहू शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन सिफारिशें की हैं। पहली सिफारिश कांटेदार फेंसिंग लगाने की है। दूसरी जलाशय के 33 मीटर बफर जोन में मानवीय गतिविधियां प्रतिबंधित कर उसे सुरक्षित करने की है और तीसरी बफर जोन में सघन पौधारोपण करने की है।
150 हेक्टेयर बॉटनीकल गार्डन को भूले सुनवाई के दौरान डॉ सुभाष पांडे ने कहा कि मास्टर प्लान में कलियासोत के आसपास 150 हेक्टेयर में बॉटनीकल गार्डन विकसित करने की बात कही गई है। लेकिन समिति ने इसे बिल्कुल भुला दिया, रिपोर्ट में इसके बारे में कोई बात नहीं कही गई है। इसके साथ एफटीएल से 33 मीटर दायरे में सभी निर्माण हटाने के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।
चार सुनवाई हो चुकी लेकिन अभी तक किसी ने नहीं दिया जवाब एनजीटी में इस संबंध में प्रकरण 2 फरवरी 2022 को लगाया गया था। इसमें मध्यप्रदेश शासन के साथ वन विभाग, टीएंडसीपी, नगर निगम आदि सहित 9 विभागों को पक्षकार बनाया गया था। इन्हें नोटिस भी जारी हुए थे। लेकिन चार बार सुनवाई हो चुकी है अभी तक किसी ने भी जवाब नहीं दिया। इस पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि एनजीटी एक्ट के अनुसार 6 माह में प्रकरण का निराकरण होना चाहिए लेकिन तीन महीने तक कोई जवाब ही नहीं दे रहा है। इसके बाद शासन की ओर से चार दिन का समय और देने की मांग की गई। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई 13 मई को तय की है।