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असली नहीं फर्जी है ये वेबसाइट, टूट सकता है टाइगर रिजर्व में घूमने का सपना

locationभोपालPublished: Sep 06, 2017 01:43:00 pm

Submitted by:

sanjana kumar

अगर आप भी इस वेबसाइट के माध्यम से मप्र के टाइगर रिजर्व में आसानी से प्रवेश करने और तमाम इंतजामों के बीच वहां रहने की प्लानिंग कर चुके हैं, तो अब वहां

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भोपाल। अगर आप भी इस वेबसाइट के माध्यम से मप्र के टाइगर रिजर्व में आसानी से प्रवेश करने और तमाम इंतजामों के बीच वहां रहने की प्लानिंग कर चुके हैं, तो अब वहां ना जाएं। क्योंकि टाइगर रिजर्व सेंटर की सरहद पर पहुंचते ही आपको निराश होकर घर लौटना पड़ सकता है। दरअसल एमपी की ज्यादातर सरकारी वेबसाइट्स की तरह नजर आने वाली फर्जी वेबसाइट्स के नाम पर साइबर क्रिमिनल पर्यटकों की जेब खाली कर रहे हैं। खबर पढ़कर रहें सतर्क…

 

ये है पूरा मामला

कुछ दिन पहले साइबर सेल भोपाल को शिकायत मिली थी कि किसी व्यक्ति द्वारा वन विभाग की ऑरिजनल वेबसाइट फॉरेस्ट डॉट एमपी ऑनलाइन डॉटगवर्नमेंट डॉट इन से मिलती जुलती नाम की वेबसाइट सफारी डेश एमपी डॉट ऑनलाइन बनाकर वेबसाइट में कंटेंट की हूबहू नकल कर पर्यटकों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। जबकि टाइगर रिजर्व सेंचुरी में भ्रमण करने के लिए जरूरी परमिट केवल वन विभाग की ऑफिशियल साईट द्वारा ही ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं।

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शिकायत मिलते ही साइबर क्राइम पुलिस भोपाल द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए वेबसाइट संचालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। साइबर पुलिस भोपाल ने आरोपी आशुतोष देवांगन तथा शैलेश सांवरिया निवासी छत्तीसगढ़ को गिरफ्तार किया है। इनके अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं। पुलिस ने इनके पास से कम्प्यूटर जप्त किए हैं।

 

छत्तीसगढ़ से संचालित होती थी वेबसाइट

वन विभाग की यह फर्जी वेबसाइट छत्तीसगढ़ से संचालित की जा रही थाी। जांच में सामने आया कि आशुतोष देवांगन नामक युवक वेबसाइट तथा ऐप डेवलपमेंट का कार्य सिम्पेक्ट टेक्नोलॉजी के नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड कवाकर बिलासपुर के पुराने हाईकोर्ट के पास संचालित करता था। पूछताछ में इस शख्स ने बताया कि शैलेश सांवरिया नामक व्यवसायी के कहने पर वन विभाग की रजिस्टर्ड वेबसाईट की कॉपी कर सफारी एमपी ऑनलाइन वेबसाइट बनाई थी।

पर्यटकों से ऐसे करते थे ठगी

इसका संचालन शैलेश सांवरिया नाम व्यक्ति ही कर रहा था। आरोपी पर्यटकों से गोपनीय जानकारियां प्राप्त कर फॉर्म भरवाता था। पर्यटकों का विवरण तथा उनकी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के बाद उन्हें एक मोबाइल नंबर पर सुनील यादव नाम काल्पनिक व्यक्ति से बात करने के लिए मैसेज भेजा जाता था। जब पर्यटक दिए गए नंबर परकॉल करते थे, तब उनसे शैलेश सांवरिया ही सुनील यादव बनकर बात करता था तथा पर्यटकों को गुमराह करते हुए उनसे अपने बैंक एकाउंट में पैसे जमा करवाता था।

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