बाघ पुनस्र्थापन परियोजना के तहत इस जोड़े को जून 2018 में मध्यप्रदेश से ओडिशा शिफ्ट किया गया था। बाघ महावीर की मौत से पहले ही बाघिन को सतकोसिया टाइगर रिजर्व से काबू में करके रायगुड़ा के बाड़े में रखा गया था। सूत्रों के अनुसार, बाघिन को बेहोश करने जो डॉट्र्स मारे गए थे, वे उसके पैर के संवेदनशील हिस्से लगे और वह घायल हो गई है।
वन्य जीवों के लिए काम करने वाले अजय दुबे ने बताया कि यह गड़बड़ी ओडिशा वन्य जीव प्रशासन की गलती से हुई है। उन्होंने बताया कि टाइगर रिजर्व में दो ग्रामीणों के शव मिलने के बाद से स्थानीय लोग सुंदरी के पीछे पड़े हुए हैं। दुबे के अनुसार, हाल ही में बाघिन को जू भेजने की तैयारी की गई थी, लेकिन सेंट्रल जू अथॉरिटी ने ऐसा करने से रोक दिया था।
बाघ के शिकार की आशंका
इससे पहले बाघ महावीर (एमबी-2) की मौत हो गई थी। ओडिशा वन विभाग को बाघ के शिकार की आशंका है। इस घटना से बाघ पुनस्र्थापन परियोजना के तहत इन बाघों को ओडिशा सरकार को सौंपे जाने के निर्णय पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने की थी सिफारिश
केंन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की सिफारिश पर कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघ महावीर और बांधवगढ़ नेशनल पार्क से बाघिन सुंदरी को जून 2018 में ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया था। सतकोसिया टाइगर रिजर्व आम आदमी की आवाजाही बढऩे से बाघविहीन हो चुका है। पन्ना टाइगर रिजर्व की तरह सतकोसिया में बाघों के पुनस्र्थापन के लिए बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी को छोड़ा गया था।